SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कोश ८७ निघण्टुशेष-टीका : खरतरगच्छीय श्रीवल्लभगणि ने १७ वीं शती में 'निघण्टुशेष' पर टीका लिखी है। देशीशब्दसंग्रह : आचार्य हेमचंद्रसूरि ने 'देशीशब्द-संग्रह" नाम से देश्य शब्दों के संग्रहात्मक कोशग्रंथ की रचना की है। इसका दूसरा नाम 'देशीनाममाला' भी है । इसे रयणावली (रत्नावली) भी कहते हैं । देश्य शब्दों का ऐसा कोश अभी तक देखने में नहीं आया। इसमें कुल ७८३ गाथाएँ हैं, जो आठ वर्गों में विभक्त की गई हैं। इन वर्गों के नाम ये हैं : १. स्वरादि, २. कवर्गादि, ३. चवर्गादि, ४. टवर्गादि, ५. तवर्गादि, ६. पवर्गादि, ७. यकारादि और ८. सकारादि । सातवें वर्ग के आदि में कहा है कि इस प्रकार की नाम-व्यवस्था यद्यपि ज्योतिषशास्त्र में प्रसिद्ध है परंतु व्याकरण में नहीं है। इन वर्गों में भी शब्द उनकी अक्षरसंख्या के क्रम से रखे गये हैं और अक्षर-संख्या में भी अकारादि वर्णानुक्रम से शब्द बताये गये हैं। इस क्रम से एकार्थवाची शब्द देने के बाद अनेकार्थवाची शब्दों का आख्यान किया गया है। इस कोश-ग्रन्थ की रचना करते समय ग्रन्थकार के सामने अनेक कोशग्रन्थ विद्यमान थे, ऐसा मालूम होता है। प्रारंभ की दूसरी गाथा में कोशकार ने कहा है कि पादलिप्ताचार्य आदि द्वारा विरचित देशी-शास्त्रों के होते हुए भी उन्होंने किस प्रयोजन से यह ग्रंथ लिखा। तीसरी गाथा में बताया गया है : जे लक्खणे ण सिद्धा ण पसिद्धा सक्कयाहिहाणेसु । ण य गउडलक्खणासत्तिसंभवा ते इह णिबद्धा ।। ३॥ अर्थात् जो शब्द न तो उनके. संस्कृत-प्राकृत व्याकरणों के नियमों द्वारा सिद्ध होते, न संस्कृत कोशों में मिलते और. न अलंकारशास्त्रप्रसिद्ध गौडी लक्षणाशक्ति से अभीष्ट अर्थ प्रदान करते हैं उन्हें ही देशी मान कर इस कोश में निबद्ध किया गया है। १. पिशल और बुलर द्वारा सम्पादित-बम्बई संस्कृत सिरीज, सन् १८८०; बनर्जी द्वारा सम्पादित-कलकत्ता, सन् १९३१; Studies in Henacandra's Desinamamala by Bhayani-P. V. Research Institute, Varanasi, 1966. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy