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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
पारसीक-भाषानुशासन : _ 'पारसीकभाषानुशासन' अर्थात् फारसी भाषा के व्याकरण की रचना मदनपाल ठक्कुर के पुत्र विक्रमसिंह ने की है। संस्कृत भाषा में रचे हुए इस व्याकरण में पाँच अध्याय हैं । विक्रमसिंह आचार्य आनन्दसूरि के भक्त शिष्य थे। इसकी एक हस्तलिखित प्रति पञ्जाब के किसी भंडार में है।' फारसी-धातुरूपावली
किसी अज्ञात विद्वान् ने 'फारसी-धातुरूपावली' नामक ग्रंथ की रचना की है, जिसकी १९ वीं शती में लिखी गई ७ पत्रों की हस्तलिखित प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर, अहमदाबाद में है।
1. A Catalogue of Manuscripts in the Punjab Jain
Bhandars, Pt. I.
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