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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास इनके गुरु का नाम विद्यानन्दी था और मल्लिभूषण नामक मुनि इनके गुरुभाई थे। ये कट्टर दिगंबर थे, ऐसा इनके ग्रंथों के विवेचन से फलित होता है। इन्होंने कई ग्रंथों की रचना की है। इनकी रचित 'षट्प्राभृत-टीका' और 'यशस्तिलकचन्द्रिका' में इन्होंने स्वयं का परिचय 'उभयभाषाचक्रवर्ती, कलिकालगौतम, कलिकालसर्वज्ञ, तार्किकशिरोमणि, नवनवतिवादिविजेता, परागमप्रवीण, व्याकरणकमलमार्तण्ड' विशेषणों से दिया है। औदार्यचिन्तामणि व्याकरण की रचना इन्होंने वि० सं० १५७५ में की है। इसमें प्राकृतभाषाविषयक छः अध्याय हैं। यह आचार्य हेमचन्द्र के 'प्राकृतव्याकरण' और त्रिविक्रम के 'प्राकृतशब्दानुशासन' से बड़ा है। इन्होंने आचार्य हेमचंद्र के व्याकरण का ही अनुसरण किया है । इस व्याकरण की जो हस्तलिखित प्रति प्राप्त हुई है वह अपूर्ण है।' इसलिये इसके विषय में विशेष कहा नहीं जा सकता। इनके अन्य ग्रन्थ इस प्रकार हैं : १. व्रतकथाकोश, २. श्रुतसंघपूजा, ३. जिनसहस्रनामटीका, ४. तत्त्वत्रयप्रकाशिका, ५. तत्त्वार्थसूत्र-वृत्ति, ६. महाभिषेक-टीका, ७. यशस्तिलकचन्द्रिका । चिन्तामणि-व्याकरण : 'चिन्तामणि-व्याकरण' के कर्ता शुभचंद्रसूरि दिगम्बरीय मूलसंघ, सरस्वतीगच्छ और बलात्कारगण के भट्टारक थे। ये विजयकीर्ति के शिष्य थे। इनको विद्यविद्याधर और षड्भाषाचक्रवर्ती की पदवियाँ प्राप्त थीं। इन्होंने साहित्य के विविध विषयों का अध्ययन किया था। इनके रचित 'चिन्तामणिव्याकरण' में प्राकृत-भाषाविषयक चार-चार पादयुक्त तीन अध्याय हैं । कुल मिलाकर १२२४ सूत्र हैं। यह व्याकरण आचार्य हेमचंद्र के 'प्राकृतव्याकरण' का अनुसरण करता है। इसकी रचना वि० सं० १६०५ में हुई है । 'पाण्डवपुराण' की प्रशस्ति में इस व्याकरण का उल्लेख इस प्रकार है: योऽकृत सद्व्याकरणं चिन्तामणिनामधेयम् । १. यह ग्रंथ तीन अध्यायों में विजागापट्टम् से प्रकाशित हुभा है : देखिए Annals of Bhandarkar Oriental Research Instituto, Vol. XIII, pp. 52-53. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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