SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 111
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास ग्रन्थों से शृंगार, वैराग्य और नीतिविषयक पूरे पद्य उद्धृत किये गये हैं जिनसे उस काल तक के अपभ्रंश साहित्य का अनुमान किया जा सकता है। ___ आचार्य हेमचंद्र के बाद में होनेवाले त्रिविक्रम, श्रुतसागर, शुभचंद्र आदि वैयाकरणों के प्राकृत व्याकरण मिलते हैं, परंतु ये सब रचना-शैली व विषय की अपेक्षा से हेमचंद्र से आगे नहीं बढ़ सके । डा० पिशल ने वर्षों तक प्राकृत भाषा का अध्ययन कर और प्राकृत भाषा के तत्तविषयक सैकड़ों ग्रन्थों का अवलोकन, अध्ययन व परिशीलन करके प्राकृत भाषाओं का व्याकरण तैयार किया है। श्रीमती डोल्ची नित्ति ने •Les Grammairiens Prakrits' में प्राकृत भाषाओं का पर्यात परिशीलन करके आलोचनात्मक ग्रन्थ लिखा है । आज की वैज्ञानिक दृष्टि से ऐसी आलोचनाएँ अनिवार्य एवं अत्यन्त उपयोगी हैं परंतु वैयाकरणों ने अपने समय की अल्प सामग्री की मर्यादा में अपने युग की दृष्टि को ध्यान में रखकर अनेक शब्द-प्रयोगों का संग्रह करके व्याकरणों का निर्माण किया है, यह नहीं भूलना चाहिये। सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन (प्राकृतव्याकरण )-वृत्ति :. __ आचार्य हेमचंद्रसूरि ने अपने प्राकृतव्याकरण' पर 'तत्त्वप्रकाशिका' नामक सुबोध वृत्ति (बृहवृत्ति ) की रचना की है । इसमें अनेक ग्रन्थों से उदाहरण दिये गये हैं । यह वृत्ति मूल के साथ प्रकाशित हुई हैं । हैमदीपिका (प्राकृतवृत्ति-दीपिका): 'सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन' के ८ वें अध्याय पर १५०० श्लोक-प्रमाण 'हैमढीपिका' अपर नाम 'प्राकृतवृत्ति-दीपिका' की रचना द्वितीय हरिभद्रसूरि ने की है। यह ग्रन्थ अनुपलब्ध है। दीपिका : 'सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन' के ८ वें अध्याय पर जिनसागरसूरि ने ६७५० श्लोकात्मक 'दीपिका' नामक वृत्ति की रचना की है। प्राकृतदीपिका : ___ आचार्य हरिप्रभसूरि ने 'सिद्धहेमशब्दानुशासन' व्याकरण के अष्टमाध्याय में आये हुए उदाहरणों की व्युत्पत्ति सूत्रों के निर्देशपूर्वक बताई है। इसकी २७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy