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________________ २७८ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास श्राद्धगुणश्रेणिसंग्रह : इसे श्राद्धगुणसंग्रह अथवा श्राद्धगुणविवरण' भी कहते हैं । इसकी रचना सोमसुन्दर के शिष्य जिनमण्डनगणी ने वि० सं० १४९८ में की है । इन्होंने ही वि० सं० १४९२ में कुमारपालप्रबन्ध लिखा है । धर्मपरीक्षा नाम की कृति भी इनकी रचना है । हेमचन्द्रसूरिकृत योगशास्त्र, प्रकाश ९ के अन्त में सामान्य गृहस्थधर्म के विषय में जो दस श्लोक हैं उनमें मार्गानुसारिता के ३५ गुणों का निर्देश किया है । वे श्लोक प्रस्तुत कृति के आरम्भ में ( पत्र २ आ ) उद्धृत किये गये हैं । उनका विस्तृत निरूपण इसमें आता है । प्रारम्भ में 'सावग' और 'श्रावक' शब्दों की व्युत्पत्ति दी गुणों को समझाने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार की कथाएँ दी बीच में संस्कृत एवं प्राकृत अवतरण दिये गये हैं । अन्त में प्रशस्ति है । उसमें रचना - स्थान और रचना काल .३ उपर्युक्त ३५ गुण इस प्रकार हैं : गई है । ३५ गई हैं। बीचसात श्लोकों की का निर्देश किया गया है । १. न्यायसम्पन्न वैभव, २. शिष्टाचार की प्रशंसा, ३. कुल एवं शील की समानतावाले अन्य गोत्र के व्यक्ति के साथ बिवाह, ४. पापभीरुता, ५. प्रचलित देशाचार का पालन, ६. राजा आदि की निन्दा से अलिप्तता, ७. योग्य निवासस्थान में द्वारवाला मकान, ८. सत्संग, ९ माता-पिता का पूजन, १०. उपद्रववाले स्थान का त्याग, ११. निन्द्य प्रवृत्तियों से अलिप्तता १२. अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार व्यय करने की वृत्ति, १३. सम्पत्ति के अनुसार वेशभूषा, १४. बुद्धि के शुश्रूषा आदि आठ गुणों से युक्तता, १५. प्रतिदिन धर्म का श्रवण, १६. अजीर्णता होने पर भोजन का त्याग, १७. भूख लगने पर प्रकृति के अनुकूल भोजन, १८. धर्म, अर्थ और काम का परस्पर बाधारहित सेवन, १९ अतिथि, Jain Education International १. ' श्राद्धगुणविवरण' के नाम से यह ग्रन्थ जैन आत्मानंद सभा ने वि० सं० १९७० में प्रकाशित किया है । इसका गुजराती अनुवाद प्रवर्तक कान्तिविजयजी के शिष्य श्री चतुरविजयजी ने किया है जो जैन आत्मानन्द सभा ने ही सन् १९१६ में प्रकाशित किया है । २. अणहिलपत्तननगर । ३. मनु-नन्दाष्टक अर्थात् १४९८ । यहाँ 'अंकानां वामतो गतिः' के नियम का पालन नहीं हुआ है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002097
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta, Hiralal R Kapadia
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, Agam, Karma, Achar, & Philosophy
File Size14 MB
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