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________________ योग और अध्यात्म २४५ ३३ गाथाएँ किसी प्राचीन कृति में से उद्धृत की है। 'ईरियावहिय', 'तस्स उत्तरो', 'अन्नत्थ', 'नमुत्थुणं', 'अरिहंतचेइयाणं', 'लोगस्स', 'पुक्खरवर' 'सिद्धाणं बुद्धाणं', 'जय वोयराय'--इन सूत्रों का इस वृत्ति में स्पष्टीकरण किया गया है। इस वृत्ति में प्रसंगोपात्त अनेक कथाएं आती हैं। इनके द्वारा निम्नलिखित व्यक्तियों की जीवन-रेखा दी गई है : _____ अभयकुमार, आदिनाथ अथवा ऋषभदेव, आनन्द, कुचिकर्ण, कौशिक, कामदेव, कालसौरिकपुत्र, कालकाचार्य, चन्द्रावतंसक, चिलातिपुत्र, चुलिनीपिता, तिलक, दृढ़प्रहारी, नन्द, परशुराम, ब्रह्मदत्त, भरत चक्रवर्ती, मरुदेवी, मण्डिक, महावीर स्वामी, रावण, रौहिणेय, वसु (नृपति), सगर चक्रवर्ती, संगमक, सनत्कुमार चक्रवर्ती, सुदर्शन श्रेष्ठी, सुभूम चक्रवर्ती और स्थूलभद्र । इसके बारे में कुछ अधिक जानकारी 'जैन संस्कृत साहित्यनो इतिहास' (खण्ड २, उपखण्ड २) में दी गई है। योगिरमा-यह टीकार दि० अमरकीर्ति के शिष्य इन्द्रनन्दी ने शक संवत् ११८० में चन्द्रमती के लिए लिखी है। इसमें योगशास्त्र का योगप्रकाश तथा योगसार के नाम से निर्देश आता है। इस टीका के आरम्भ में तीन श्लोक हैं। १. ये गाथाएँ गुजराती अनुवाद के साथ 'प्रतिक्रमणसूत्र-प्रबोधटीका' (भा० ३, पृ० ८२४-३२) में उद्धृत की गई हैं। २. इस टीका की एक हस्तप्रति कारंजा (अकोला) के शास्त्रभंडार में है। उसमें प्रत्येक पृष्ठ पर ११ से १२ पंक्तियाँ और प्रत्येक पंक्ति में ५५ से ६० अक्षर हैं। इसमें ७७ पत्र हैं। प्रत्येक पत्र का नाप ११.२५" x ४.७५" है। यह ४००-५०० वर्ष प्राचीन है, ऐसा कहा जाता है । इस हस्तप्रति पर पं० श्री जुगलकिशोरजी मुख्तार ने एक लेख 'आचार्य हेमचन्द्र के योगशास्त्र पर एक प्राचीन दिगम्बर टीका' नाम से लिखा था। यह लेख 'श्रमण' (व० १८, अं. ११) में छपा था। उसके आधार पर इस टीका का परिचय दिया है। ३. टीका में 'खाष्टशे' इतना ही उल्लेख है। किसी प्रकार के संवत् का उल्लेख नहीं है, परन्तु वह वैक्रमीय तो हो ही नहीं सकता। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002097
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta, Hiralal R Kapadia
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, Agam, Karma, Achar, & Philosophy
File Size14 MB
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