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________________ धर्मोपदेश २१३ दान । चित्त, वित्त और पात्र की विशुद्धि शास्त्रानुसार विस्तार से समझाने के लिये इसमें मेघरथ राजा की कथा दी गई है। दूसरे प्रकाश में दान के तीनों प्रकारों की स्पष्टता करके ज्ञान-दान के प्रकार तथा ज्ञान लेते-देते समय ध्यान में रखने योग्य काल आदि आठ आचारों का निरूपण किया गया है। इन आठ आचारों से सम्बद्ध आठ कथाएँ और खास करके विजय राजा का दृष्टान्त दिया गया है । तीसरे प्रकाश में अभय-दान की महिमा, उसका विवेचन, अंशतः और सर्वांशतः दया की विचारणा और इस विषय में शंख श्रावक की कथा-इस प्रकार विविध बातें आती हैं। प्रसंगोपात्त अजैन कपिल ऋषि, शान्तिनाथ, मुनिसुव्रत स्वामी, महावीर स्वामी, मेतार्य मुनि, धर्मरुचि और कुमारपाल की दया-विषयक प्रवृत्तियों का निर्देश किया गया है। चौथे प्रकाश में अपष्टम्भ-दान का अर्थ समझाकर और जवन्यादि तीन पात्रों का उल्लेख करके दान के आठ प्रकार तथा वसति, शयन इत्यादि का वर्णन किया है । इसके पश्चात् वंकचूलि की कथा कह कर शय्या-दान के विषय में कोशा की, उपाश्रय के दान के विषय में अवन्तीसुकुमाल की और वसति-दान के सम्बन्ध में ताराचन्द्र एवं कुरुचन्द्र की कथा कही गई है । पांचवें प्रकाश में शयन-दान का अर्थ समझाकर इस दान के सम्बन्ध में प्रज्ञाकर राजा की कथा दी गई है । छठे प्रकाश में आसन-दान का वर्णन करके इस पर कविराज की कथा दी है। साथ ही गभित धन के ऊपर दण्डवीर्य का तथा धर्म के ऊपर धर्मबुद्धि मन्त्री का . वृत्तान्त भी दिया है। सातवें प्रकाश में आहार-दान के प्रकार तथा उससे सम्बद्ध कनकरथ की कथा दी गयी है। श्रेयांसकुमार, शालिभद्र, भद्र और अतिभद्र के दृष्टान्त भी दिये गये हैं। आठवें प्रकाश में आरनाल इत्यादि नौ प्रकार के प्रासुक जल का तथा द्राक्षोदक आदि बारह प्रकार के जल का विस्तृत विवेचन किया गया है। पान-दान के विषय में रत्नपाल राजा की कथा दी गई है । नवें प्रकाश में औषध-दान के विषय में विचार किया गया है। इसके सम्बन्ध में मुख्यतः धनदेव एवं धनदत्त की कथा देकर ऋषभ १४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002097
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta, Hiralal R Kapadia
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, Agam, Karma, Achar, & Philosophy
File Size14 MB
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