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आगमिक प्रकरणों का उद्भव
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जैन आगमों में आनेवाले विचारों का संकलन किया जाता है। इस प्रकार उनमें विचारों का संग्रह-'थोक' होने से उनका 'थोकड़ा' नाम सार्थक प्रतीत होता है।
विषय को दृष्टि से आगमिक प्रकरणों के मुख्य दो विभाग किये जा सकते हैं : (१) तात्विक यानो अधिकांश में द्रव्यानुयोग और कभी-कभी गणितानुयोगसम्बन्धी विचारों के निरूपक प्रकरण और (२) आचार अर्थात् चरणकरणानु. योग के निरूपण से सम्बद्ध प्रकरण ।
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