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________________ चतुर्थ प्रकरण कोट्याचार्यकृत विशेषावश्यकभाष्य- विवरण 1 कोट्याचार्य ने आचार्य जिनभद्रकृत विशेषावश्यकभाष्य पर टीका लिखी यह टीका स्वयं आचार्य जिनभद्र द्वारा प्रारम्भ की गई एवं आचार्य कोट्टार्य द्वारा पूर्ण की गई विशेषावश्यकभाष्य की सर्वप्रथम टीका से भिन्न है । कोट्याचार्य ने अपनी टीका में आचार्यं हरिभद्र का अथवा उनके किसी ग्रन्थ का कोई उल्लेख नहीं किया है । इस तथ्य को दृष्टि में रखते हुए कुछ विद्वान् यह अनुमान करते हैं कि कोट्याचार्य या तो हरिभद्र के पूर्ववर्ती हैं या समकालीन । कोट्याचार्य ने अपनी टोका में अनेक स्थानों पर आवश्यक की मूल टीका एवं विशेषावश्यकभाष्य की स्वोपज्ञटीका का उल्लेख किया है । मूल टीका जिनभद्र की है जिनके नाम का आचार्य ने उल्लेख भी किया है । कोट्याचार्य ने अपनी कृति में जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण का सम्मानपूर्ण शब्दों द्वारा स्मरण किया है । मलधारी हेमचन्द्रसूरि ने अपनी विशेषावश्यकभाष्य की टीका में आचार्य जिनभद्र के साथ कोट्याचार्य का भी प्राचीन टीकाकार के रूप में उल्लेख किया है । इन सब तथ्यों को देखते हुए यह कहना अनुचित न होगा कि कोट्याचार्य एक प्राचीन टीकाकार हैं और सम्भवतः वे आचार्य हरिभद्र से भी प्राचीन हों । ऐसी स्थिति में आचार्य शीलांक और कोट्याचार्य को एक ही व्यक्ति मानना युक्तिसंगत प्रतीत नहीं होता, जैसा कि प्रभावक चरित्रकार की मान्यता है ।' आचार्य शीलांक का समय विक्रम की नवींदसवीं शताब्दी है जबकि कोट्याचार्यं का समय विक्रम की आठवीं शताब्दी ही सिद्ध होता है । दूसरी बात यह है कि शीलांकसूरि और कोट्याचार्य को एक ही व्यक्ति मानने के लिए कोई ऐतिहासिक प्रमाण भी उपलब्ध नहीं है । २ प्रस्तुत विवरण में कोट्याचार्य ने विशेषावश्यक का व्याख्यान किया है जो न अति संक्षिप्त है और न अति विस्तृत विवरण में जो कथानक उद्धृत किये गये हैं वे प्राकृत में हैं : कहीं-कहीं पद्यात्मक कथानक भी हैं । विवरणकार आचार्य जिनभद्रकृत विशेषावश्यकभाष्य की स्वोपज्ञवृत्ति और जिनभटकृत १. प्रभावकचरित्र (भाषांतर) : प्रस्तावना, पृ० ८७ २. ऋषभदेवजी केशरी - मलजी श्वेताम्बर संख्या, रतलाम, सन् १९३६-७. ३. पृ० २७५. ४. पृ० २४५. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002096
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages520
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size19 MB
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