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जीवाजीवाभिगम
दासों के प्रकार-दास (आमरण दास ), प्रेष्य ( जो किसी काम के लिये भेजे जा सकें), शिष्य, भृतक ( जो वेतन लेकर काम करते हों), भाइल्लग ( भागीदार ), कर्मकर'।
त्योहारों के नाम-आवाह (विवाह के पूर्व ताम्बूल इत्यादि देना), विवाह, यज्ञ, (प्रतिदिन इष्टदेवता की पूजा), श्राद्ध, थालीपाक (गृहस्थ का धार्मिक कृत्य), चेलोपनयन ( मुण्डन ), सीमंतोन्नयन (गर्भस्थापन ), मृतपिंडनिवेदन ।
उत्सवों के नाम-इन्द्रमह, स्कन्दमह, रुद्रमह, शिवमह, वैश्रमणमह, मुकुन्दमह, नागमह, यक्षमह, भूतमह, कूपमह, तडागमह, नदीमह, हृदमह, पर्वतमह, वृक्षारोपणमह, चैत्यमह, स्तूपमह ।
नट आदि के नाम-नट ( बाजीगर ), नर्तक, मल्ल ( पहलवान ), मौष्टिक ( मुष्टियुद्ध करने वाले ), विडम्बक ( विदूषक), कहग ( कथाकार ), प्लबग (कुदने-फाँदने वाले), आख्यायक, लासक ( रास गाने वाले ), लंख ( बाँस के ऊपर चढ़ कर खेल करने वाले), मंख ( चित्र दिखा कर भिक्षा माँगने वाले), तूग बजाने वाले, वीणा बजाने वाले, कावण ( बहँगी लेजाने वाले), मागध, ‘जल्ल ( रस्सी पर खेल करने वाले )।
यानों के नाम-शकट, रथ, यान (गाड़ी), जुग्ग ( गोल देश में प्रसिद्ध दो हाथ प्रमाण चौकोर वेदी से युक्त पालकी जिसे दो आदमी ढोकर ले जाते हो), गिल्ली ( हाथी के ऊपर की अंबारी जिसमें बैठने से आदमी दिखाई नहीं देता'), थिल्ली ( लाट देश में घोड़े की जीन को थिल्ली कहते हैं । कहीं दो स्वच्चरों की गाड़ी को थिल्ली कहा जाता है), शिबिका (शिखर के आकार की ढकी हुई पालकी), स्यन्दमानी ( पुरुषप्रमाण लम्बी पालकी)।
मनर्थ के कारण--ग्रहदण्ड, ग्रहमुशल, ग्रहगर्जित (ग्रहों के सञ्चार से होने वाली आवाज), ग्रहयुद्ध, ग्रहसंघाटक (ग्रह की जोड़ी), ग्रहअपसव्यक ( ग्रह का प्रतिकूल होना), अभ्र (बादल), अभ्रवृक्ष (बादलों का वृक्षाकार परिणत होना), सन्ध्या, गन्धर्वनगर (बादलों का देवताओं के नगर रूप में परिणत १. निशीथचूर्णि ( ११.३६७६ ) में गर्भदास, क्रीतदास, अनृण (ऋण न दे
सकने के कारण) दास, दुर्भिक्षदास, सापराधदास और रुद्धदास (कैदी)
ये दासों के भेद बताये हैं। २. जम्बू द्वीपप्रज्ञप्ति-टीका के अनुसार “डोली" ।
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