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________________ दशाश्रुतस्कन्ध अज्झयणा पण्णत्ता । तं जहा-वीसं असमाहिठाणा, एगवीसंसबला, तेतीसं आसायणातो, अट्ठविहा गणिसंपया, दस चित्तसमाहिठाणा, एगारस उवासगपडिमातो, बारस भिक्खुपडिमातो, पज्जोसवणकप्पो, तीसं मोह(ई) मुनि घासीलालकृत संस्कृत व्याख्या व उसके हिन्दी-गुजराती अनुवाद के साथ-जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, सन् १९६०. केवल आठवाँ उद्देश ( कल्पसूत्र) (अ) भूमिकासहित-H. Jacobi, Leipzig, 1879. . (आ) अंग्रेजी अनुवाद-H. Jacobi, S. B. E. Series, Vol. 22, Clarendon Press, Oxford, 1884. . (इ) सचित्र-देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार, बम्बई, सन् १९३३. . (ई) सचित्र-जैन प्राचीन साहित्योद्धार, अहमदाबाद, सन् १९४१... (3) मुनि प्यारचन्द्र कृत हिन्दी अनुवादसहित-जैनोदय पुस्तक प्रकाशन समिति, रतलाम, वि० सं० २००५. . (ऊ) मूल-मफतलाल झवेरचन्द्र, वि० सं० १९९९. (ए) माणिकमुनिकृत हिन्दी अनुवादसहित-सोभागमल हरकावत, ___ अजमेर, वि० सं० १९७३. (ऐ) हिन्दी अनुवाद-आत्मानन्द जैन महासभा, जालंधर शहर, सन् १९४८. (ओ) हिन्दी भावार्थ-जैन श्वेताम्बर संघ, कोटा, सन् १९३३. (औ) गुजराती भाषांतर, चित्रविवरण, नियुक्ति, चूर्णि, पृथ्वीचन्द्रसूरि कृत टिप्पण आदि सहित-साराभाई मणिलाल नवाब, छीपा मावजीनी पोल, अहमदाबाद, सन् १९५२. (अं) धर्मसागरगणिविरचित वृत्तिसहित-जैन आत्मानन्द सभा, भाव नगर, सन् १९२२. (अः) संघविजयगणिसंकलित वृत्तिसहित-वाडीलाल चकुभाई, देवी शाहनो पाडो, अहमदाबाद, सन् १९३५. (क) समयसुन्दरगगिविरचित व्याख्यासहित-जिनदत्तसूरि ज्ञानभंडार, बम्बई, सन् १९३९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002095
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1966
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size15 MB
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