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________________ ९० जैन साहित्य का बृहद् इतिहास गहर, पुंडरीक, काक, कामिंजुय, वंजुलग, तीतर, बट्टग (बतक ), लावक, कपोत कपिंजल, पारावत, चटक (चिड़िया), चास, कुक्कुड ( मुर्गा) शुक, बीं (मथूर), मदनशलाका, कोयल, सेह, वरिल्लग (३५) । मनुष्य तीन प्रकार के हैं-कर्मभूमक, अकर्मभूमक और अन्तरद्वीपक । अन्तरद्वीपक–एकोरुक, आभासिक, वैषाणिक, नांगोलिक, हयकर्ण, गजकर्ण, गोकर्ण, शकुलीकर्ण, आदर्शमुख, मेंढमुख, अयोमुख, गोमुख, अश्वमुख, हस्तिमुख, सिंहमुख, व्याघ्रमुख, अश्वकर्ण, हरिकर्ण, आकर्ण, कर्णप्रावरण, उल्कामुख, मेघमुख, विद्युन्मुख, विद्युद्दन्त, घनदंत, लष्टदंत, गूढ दंत, शुद्धदंत ( ३६ )। . अकर्मभूमक तीस होते हैं--पाँच हैमवत, पाँच हिरण्यवत, पाँच हरिवर्ष, पाँच रम्यकवर्ष, पाँच देवकुरु, पाँच उत्तरकुरु ( ३६ )। । कर्मभूमक पन्द्रह होते हैं—पाँच भरत, पाँच ऐरावत, पाँच महाविदेह । ये दो प्रकार के होते हैं--आर्य और म्लेच्छ । म्लेच्छ-शक, यवन, चिलात .(किरात), शबर, बर्बर, मुरुंड, उड्ड (ओड), भडग, निण्णग, पक्कणिय, कुलक्ख, गोंड, सिंहल, पारस, गोध, कोंच, अंध, दमिल (द्रविड), चिल्लल, पुलिंद, हारोस, डोंच, बोक्कण, गंधहारग ( ? ), बहलीक, अज्झल ( जल्ल ?), रोमपास (?), बकुश, मलय, बंधुय, सूयलि, कोंकणग, मेय, पह्लव, मालव, मग्गर, आभासिय, अगक्ख, चीण, लासिक, खस, खासिय, नेहुर, मोंढ, डोंबिलग, लओस, पओस, केकय, अक्खाग, हूण, रोमक, रुरु, मरुय आदि ( ३७ )। १. जीवों के उक्त भेद-प्रभेदों का वर्णन जीवाजीवाभिगम (सूत्र १५, १७, २०,२१,२५,२६,२७,२८,२९,३०,३५,३६,३८,३९) में भी किया गया है। इन नामों में अनेक पाठभेद हैं और टीकाकार ने बहुत से शब्दों की व्याख्या न करके उन्हें केवल 'सम्प्रदायगम्य' कहा है। खोज करने से बहुत से शब्दों का पता लग सकता है। २. अनार्य जातियों की तालिका के लिये देखिए-प्रश्नव्याकरण, पृ० १३; भगवती, पृ० ५३ (पं० बेचरदास); उत्तराध्ययन-टीका, पृ० १६१ भ; प्रवचनसारोद्धार, पृ० ४४५। इस तालिका में भी अशुद्ध पाठ हैं। देखियेजगदीशचन्द्र जैन, लाइफ इन ऐंशियेण्ट इण्डिया, पृ० ३५८-६६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002095
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1966
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size15 MB
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