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प्रज्ञापना
तिमिंगिल, णक ( नाक् ), तंदुलमत्स्य, कणिकामत्स्य, सालि, स्वस्तिकमत्स्य, लंभनमत्स्य, पताका, पताकातिपताका। कच्छप-अस्थिकच्छप, मांसकच्छप । ग्राह-दिली, वेढग ( वेष्टक ), मुद्धय ( मूधंज ), पुलक, सीमाकार । मगरसोडमगर, महमगर ( ३३)।
__ थलचर जीव चार प्रकार के होते हैं-एकखुर, दोखुर, गंडीपद और सनखपद ( नखयुक्त पैरवाले)। एकखुर-अश्व, अश्वतर (खच्चर ), घोड़ा, गर्दभ, गोरक्षर, कंदलग, श्रीकंदलग, आवर्तग । दो खुरवाले-ऊँट, गाय, गवय, रोझ, पसय, महिष, मृग, संबर, वराह, बकरा, भेड़, रुरु, शरभ, चमर, कुरंग, गोकर्ण । गंडीपद-हस्ती, हस्तीपूयणग, मंकुणहस्ती, खड्गी ( गेंडे की जाति)। सनखपदसिंह, व्याघ्र, द्वीपी, अच्छ ( रीछ ), तरक्ष, परस्सर ( सरभाः, टीकाकार ), गीदड़, बिडाल(बिलाड़ी), कुत्ता, कौलशुनक', कोकंतिय (लोमठिकाः, टीकाकार), ससग ( ससा ), चित्तग, चिलल्लग ( ३४ )।
उरपरिसर्प चार प्रकार के हैं-अहि, अजगर, आसालिका, महोरग । अहि दो प्रकार के हैं--दर्वीकर (फणधारी साँप ) और मुकुली ( फणरहित )। दर्वीकर-आशीविष, दृष्टिविष, उग्रविष, भोगविष, त्वचाविष, लालाविष, उच्छ्छासविष, निःश्वासविष, कृष्णसर्प, श्वेतसर्प, काकोदर, दग्धपुष्प, कोलाह, मेलिमिंद, शेषेन्द्र । मुकुली-दिव्याग, गोणस, कसाहीय, वइउल, चित्तली, मंडली, माली, अहि, अहिसलाग, वासपताका ( ३५)।।
भुजपरिसर्प अनेक प्रकार के हैं--नकुल, सेह, सरड (शरट ), शल्य, सरंट, सार, खोर, घरोइल ( गृहकोकिल-छिपकली ), विस्संभर, मूषक, मंगुस, पयलाइल (प्रचलायित ), क्षीरविरालिय, जोह, चतुष्पादिक (३५)।
नभचर चार प्रकार के होते हैं-चर्मपक्षी, लोमपक्षी, समुद्गकपक्षी और विततपक्षी। चर्मपक्षी-बागुली, जलोय, अडिल्ल, भारंड पक्षी, जीवंजीव, समुद्रवायस, कण्णत्तिय, पक्षीविरालिक। लोमपक्षी-टंक, कंक, कुरल, वायस, चक्रवाक, हंस, कलहंस, राजहंस, पायहंस, आड, सेडी, बक ( बगुला), बलाका (बगुलों की जाति), पारिप्लव, क्रौंच, सारस, मेसर, मसूर, मयूर, सप्तहस्त,
1. महाशूकर-जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-टीका । २. लोमटकाः ये रात्री को को इत्येवं रवन्ति-जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-टीका, पृ० १२३ अ।
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