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सोरेन्सन ने महाभारत के विशेष नामों का कोष बनाया है । उसके देखने से पता चलता है कि सुपार्श्व, चन्द्र और सुमति ये तीन नाम ऐसे हैं जो तीर्थंकरों के नामों से साम्य रखते हैं । विशेष बात यह भी ध्यान देने की है कि ये तीनों ही असुर हैं। और यह भी हम जानते हैं कि पौराणिक मान्यता के अनुसार अर्हतों ने जो जैनधर्म का उपदेश दिया है वह विशेषतः असुरों के लिए था । अर्थात् वैदिक पौराणिक मान्यता के अनुसार जैनधर्म असुरों का धर्म है । ईश्वर के अवतारों में जिस प्रकार ऋषभ को अवतार माना गया है उसी प्रकार सुपार्श्व को महाभारत गया है । चन्द्र को भी अंशावतार लिए कहा गया है कि वरुणप्रासाद में तथा एक अन्य सुमति नाम के ऋषि का समकालीन बताये गये हैं ।
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कुपथ नामक असुर का अंशावतार माना माना गया है । सुमति नामक असुर के उनका स्थान दैत्यों और दानवों में था भी महाभारत में उल्लेख है जो भीष्म के जिस प्रकार भागवत में ऋषभ को विष्णु का अवतार माना गया है उसी प्रकार अवतार के रूप में तो नहीं किन्तु विष्णु और शिव के जो सहस्रनाम महाभारत में दिये गये हैं उनमें श्रेयस, अनन्त, धर्म, शान्ति और सम्भव ये नाम विष्णु के भी हैं और ऐसे ही नाम जैन तीर्थंकरों के भी मिलते हैं । सहस्रनामों के अभ्यास से यह पता चलता है कि पौराणिक महापुरुषों का अभेद विष्णु से और शिव से करना - यह भी उसका एक प्रयोजन था । प्रस्तुत में इन नामों से जैन तीर्थंकर अभिप्रेत हैं या नहीं, यह विचारणीय है। शिव के नामों में भी अनन्त, धर्म, अजित, ऋषभ – ये नाम आते हैं जो तत्तत् तीर्थंकरों के नाम भी हैं । शान्ति विष्णु का भी नाम है, यह कहा ही गया है । उस नाम के एक इन्द्र और ऋषि भी हुए हैं । इनका सम्बन्ध तीर्थंकर से है या नहीं, यह विचारणीय है । बीसवें तीर्थंकर के नाम मुनिसुव्रत में मुनि को सुव्रत का विशेषण माना जाय तो सुव्रत नाम ठहरता है। महाभारत में विष्णु और शिव का भी एक नाम सुव्रत मिलता है । नामसाम्य के अलावा जो इन महापुरुषों का सम्बन्ध असुरों से जोड़ा जाता है वह इस बात के लिए तो प्रमाण बनता ही है कि ये वेदविरोधी थे । उनका वेदविरोधी होना उनके श्रमणपरम्परा से सम्बद्ध होने की सम्भावना को दृढ़ करता है ।
आगमों का वर्गीकरण :
साम्प्रतकाल में आगम रूप से जो ग्रन्थ उपलब्ध हैं और मान्य हैं उनकी सूची नीचे दी जाती है । उनका वर्गीकरण करके यह सूची दी है क्योंकि प्रायः उसी रूप में वर्गीकरण साम्प्रतकाल में मान्य है '
१. विशेष विस्तृत चर्चा के लिए देखिए - Prof. Kapadia--A History of the Canonical literature of the Jainas, Chap. II.
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महाभारत के अनुसार शान्ति नामक जैन
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