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व्याख्याप्रज्ञप्ति
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की मान्यता ने लोगों के दिलों में घर कर रखा था। भगवान महावीर ने स्पष्ट कहा कि भाषा का पुण्य व पाप से कोई सम्बन्ध नहीं है । भाषा तो केवल बोलचाल के व्यवहार का एक साधन अर्थात् माध्यम है। मनुष्य चाहे कोई भी भाषा बोले, यदि उसका चारित्र-आचरण शुद्ध होगा तो उसके जीवन का विकास होगा। व्याख्याप्रज्ञप्ति के पांचवें शतक के चौथे उद्देशक में यह बताया गया है कि देव अर्धमागधी भाषा बोलते हैं । देवों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं में अर्धमागधी भाषा विशिष्ट है यद्यपि यहाँ यह प्रतिपादित नहीं किया गया है कि अर्धमागधी भाषा बोलने से पुण्य होता है अथवा जोवन की शुद्धि होती है। वैदिकों एवं जैनों की तरह अन्य सम्प्रदाय वाले भी देवों की विशिष्ट भाषा मानते है। ईसाई देवों की भाषा हिब्रु मानते हैं जबकि मुसलमान देवों की भाषा अरबी मानते हैं। इस प्रकार प्रायः प्रत्येक सम्प्रदाय वाले अपने-अपने शास्त्र को भाषा को देवभाषा कहते हैं। गोशालक :
___पंद्रहवें शतक में मंखलिपुत्र गोशालक का विस्तृत वर्णन है। गोशालक के लिए मंखलिपुत्र एवं मक्खलिपुत्र इन दोनों शब्दों का प्रयोग होता रहा है। जैन शास्त्रों में मंख लिपुत्र शब्द प्रचलित है जबकि बौद्ध परम्परा में मक्खलिपुत्र शब्द का प्रयोग हआ है। हाथ में चित्रपट लेकर उनके द्वारा लोगों को उपदेश देकर अपनी आजीविका चलाने वाले भिक्षुक जैन परम्परा में 'मंख' कहे गये हैं। प्रस्तुत शतक के अनुसार गोशालक' का जन्म सरवण नामक ग्राम में रहने वाले वेदविशारद गोबहुल ब्राह्मण को गोशाला में हुआ था और इसीलिए उसके पिता मंखलि मंख एवं माता भद्रा ने अपने पुत्र का नाम गोशालक रखा। गोशालक जब युवा हुआ एवं ज्ञान-विज्ञान द्वारा परिपक्व हुआ तब उसने अपने पिता का धंधा मंखपना स्वीकार किया। गोशालक स्वयं गृहस्थाश्रम में था या नहीं, इसके विषय में प्रस्तुत प्रकरण में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं हैं। चूंकि वह नग्न रहता था इससे मालूम होता है कि वह गृहस्थाश्रम में न रहा हो। जब महावीर दीक्षित होने के बाद दूसरे चातुर्मास में घूमते-फिरते राजगृह के बाहर नालन्दा में आये एवं बुनकर-वास में ठहरे तब वहीं उनके पास ही मंखलिपुत्र गोशालक भी ठहरा हुआ था। इससे मालूम होता है कि मंख भिक्षुओं की परम्परा महावीर के दीक्षित होने के पूर्व भी विद्यमान थी।
१. महावीरचरियं में गोशालक के वृत्तांत के लिए एक नई ही कल्पना बताई
है । देखिए-महावीरचरियं, षष्ठ प्रस्ताव. Jain Education International For Private & Personal Use Only
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