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________________ १७८ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास कर्मचयवाद : द्वितीय उद्देशक के अन्त में भिक्षुसमय अर्थात् बौद्धमत के कर्मचयवाद की चर्चा है। यहाँ बौद्धदर्शन को सूत्र कार, चूर्णिकार तथा वृत्तिकार ने क्रियावादी अर्थात् कर्मवादी कहा है । सूत्रकार कहते हैं कि इस दर्शन की कर्मविषयक मान्यता दुःखस्कन्ध' को बढ़ाने वाली है : अधावरं पुरक्खायं किरियावादिदरिसणं । कम्मचिंतापणट्ठाणं दुक्खक्खंधविवद्धणं ॥ २४ ।। चूर्णिकार ने 'दुक्खक्खंध' का अर्थ 'कर्मसमूह' किया है एवं वृत्तिकार ने 'असातोदयपरम्परा' अर्थात् 'दुःखपरम्परा' । दोनों की व्याख्या में कोई तात्विक भेद नहीं है क्योंकि दुःखपरम्परा कर्मसमूहजन्य ही होती है । इस प्रसंग पर सूत्रकार ने बौद्धमतसम्बन्धी एक गाथा दी है, जिसका आशय यह है कि अमुक प्रकार की आपत्ति में फंसा हुआ असंयमी पिता यदि लाचारीवश अपने पुत्र को मार कर खाजाय तो भी वह कर्म से लिप्त नहीं होता। इस प्रकार के मांस-सेवन से मेधावी अर्थात् संयमी साधु भी कर्मलिप्त नहीं होता । गाथा इस प्रकार है : पृत्तं पिता समारंभ आहारट्रमसंजते । भुंजमाणो वि मेधावी कम्मुणा जोवलिप्पते ॥ २८ ।। अथवा पुत्तं गिया समारब्भ आहारेज्ज असंजए । भुंजमाणो य मेहावी कम्मुणा नोवलिप्पइ ॥२८।। उपरोक्त ८वीं गाथा में विशेष प्रकार के अर्थ का सूचक पाठभेद बहुत समय से चला आ रहा है, उस पाठभेद के अनुसार गाथा के अर्थ में बड़ी भिन्नता होती है । देखिए चूणिकार का पाठ 'पिता' ऐसा है, उसमें दो पद हैं तथा 'पिता' शब्द का अर्थ इस पाठ में नहीं है। इस पाठ के अनुसार पुत्र का भी वध करके ऐसा अर्थ होता है। जब कि वृत्तिकार का पाठ 'पिया' अथवा पिता ऐसा है, इस पाठ में एक ही पद है पिया' अथवा 'पिता'। इस पाठ के अनुसार 'पिता पुत्र का वध करके' ऐसा अर्थ होता है और वृत्तिकार ने भी इसी अर्थ का निरूपण किया है, दो पद वाला पाठ जितना प्राचीन है उतना एक पद वाला 'पिता' पाठ प्राचीन १. बौद्धसम्मत चार आर्यसत्यों में से एक. २. चूर्णिकारसम्मत पाठ. ३. वृत्तिकारसम्मत पाठ, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002094
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size13 MB
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