________________
१६०
जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
के घर में जाय, उससे पूर्व नहीं । इतना ही नहीं, वह घर में जाकर गृहपति की स्त्री, बहन, पुत्र, पुत्री, पुत्रवधू, दास, दासो, नौकर, नौकरानी से कहे कि जिन्हें जो देना था उन्हें वह दे देने के बाद जो बचा हो उसमें से मुझे भिक्षा दो । इस नियम का प्रयोजन यही है कि किसी के भोजन में अन्तराय न पड़े ।
अर्थात् सामूहिक भोज में भिक्षा के कहा गया है कि इस प्रकार की भिक्षा अनेक नामकरणोत्सव आदि के प्रसंग पर होने वाले की हिंसा होती है । ऐसे अवसर पर भिक्षा लेने सुविधा के लिए भी विशेष हिंसा की सम्भावना भिक्षु भिक्षा के लिए न जाय । आगे सूत्रकार ने दिशा में संखडि होती हो उस दिशा में भी भिक्षु को कहाँ कहाँ होती है ? ग्राम, नगर, खेड, कर्बट, मडंब, नैगम, आश्रम, संनिवेश व राजधानी- - इन सब में भिक्षा के लिए जाने से भयंकर दोष लगते हैं । उनके विषय में सूत्रकार कहते हैं. कि कदाचित् वहाँ अधिक खाया जाय अथवा पीया जाय और वमन हो अथवा अपच हो तो रोग होने की संभावना होती है । गृहपति के साथ, गृहपति की स्त्री के साथ, परिव्राजकों के साथ, परिव्राजिकाओं के साथ एकमेव हो जाने पर, मदिरा आदि पीने की परिस्थिति उत्पन्न होने पर ब्रह्मचर्य भंग का भय रहता है । यह एक विशेष भयंकर दोष है । भिक्षा के लिये जाते समय :
लिए जाने का निषेध करते हुए दोषों की जननी हैं । जन्मोत्सव, बृहद्भोज के निमित्त अनेक प्रकार जाने की स्थिति में साधुओं की हो सकती है । अतः संखडि में यह भी बताया है कि जिस नहीं जाना चाहिए । संखडि पट्टण, आकर, द्रोणमुख, संखडि होती है । संखडि में
भिक्षा के लिये जाने वाले भिक्षु को कहा गया है कि अपने सब उपकरण साथ रखकर ही भिक्षा के लिए जाय । एक गाँव से दूसरे गाँव जाते समय भी वैसा ही करे | वर्तमान में एक गाँव से दूसरे गांव जाते समय तो इस नियम का पालन किया जाता है किन्तु भिक्षा के लिए जाते समय वैसा नहीं किया जाता । धीरे धीरे उपकरणों में वृद्धि होती गई । अतः भिक्षा के समय मैं नहीं रखने की नई प्रथा चली हो ऐसा शक्य है ।
सब उपकरण साथ
राजकुलों में :
के
आगे बताया गया है कि भिक्षु को क्षत्रियों अर्थात् कुराजाओं के कुलों में, राजभृत्यों के कुलों में, राजवंश लिए नहीं जाना चाहिए । इससे मालूम होता है कि कुछ लोग भिक्षुओं के साथ असद्व्यवहार करते होंगे अथवा संयम की साधना में विघ्नकर होता होगा ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
राजाओं के कुलों में,
कुलों में भिक्षा के राजा एवं राजवंश के उनके यहाँ का आहार
www.jainelibrary.org