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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास द्वितीय श्रुतस्कन्ध की चूलिकाएँ :
आचारांग का द्वितीय श्रुतस्कन्ध पाँच चूलिकाओं में विभक्त है। इनमें से प्रथम चार चूलिकाएँ तो आचारांग में ही है किन्तु पाँचवीं चूलिका विशेष विस्तृत होने के कारण आचारांग से भिन्न कर दी गई है जो निशीथसूत्र के नाम से एक अलग ग्रन्थ के रूप से उपलब्ध है । नन्दिसूत्रकार ने कालिक सूत्रों की गणना में 'निसीह' नामक जिस शास्त्र का उल्लेख किया है वह आचाराग्र-आचारचूलिका का यही प्रकरण हो सकता है । इसका दूसरा नाम आचारकल्प अथवा आचारप्रकल्प भी है जिसका उल्लेख नियुक्ति, स्थानांग व समवायांग में मिलता है।
आचारान की चार चूलिकाओं में से प्रथम चूलिका के सात अध्ययन हैं : १. पिण्डैषणा, २. शय्यैषणा, ३. ईर्यषणा, ४. भाषाजातैषणा, ५. वस्त्रषणा, ६. पात्रषणा, ७. अवग्रहैषणा । द्वितीय चूलिका के भी सात अध्ययन हैं : १.. स्थान, २. निषीधिका, ३. उच्चारप्रस्रवण, ४. शब्द, ५. रूप, ६. परक्रिया, ७. अन्योन्यक्रिया। तृतीय चूलिका में भावना नामक एक ही अध्ययन है। चतुर्थ चूलिका में भी एक ही अध्ययन है जिसका नाम विमुक्ति है। इस प्रकार चारों चूलिकाओं में कुल सोलह अध्ययन है । इन अध्ययनों के नामों की योजना तदन्तर्गत विषयों को ध्यान में रखते हुए नियुक्तिकार ने की प्रतीत होती है। पिण्डैषणा आदि समस्त नामों का विवेचन नियुक्तिकार ने निक्षेपपद्धति द्वारा किया है। पिण्ड का अर्थ है आहार, शय्या' का अर्थ है निवासस्थान, ईर्या का अर्थ है गमनागमन प्रवृत्ति, भाषाजात का अर्थ है भाषासमूह, अवग्रह का अर्थ है गमनागमन की स्थानमर्यादा । वस्त्र, पात्र, स्थान, शब्द व रूप का वही अर्थ है जो सामान्यतया प्रचलित है । निषीधिका अर्थात् स्वाध्याय एवं ध्यान करने का स्थान, उच्चारप्रस्रवण अर्थात् दीर्घशंका एवं लघुशंका, परक्रिया अर्थात् दूसरों द्वारा की जानेवाली सेवाक्रिया, अन्योन्यक्रिया अर्थात् परस्पर की जाने वाली अनुचित क्रिया, भावना अर्थात् चिन्तन, विमुक्ति अर्थात् वीतरागता।
१. मूल में सेज्जा व सिज्जा शब्द है। इसका संस्कृत रूप 'सद्या' मानना विशेष
उचित होगा । निषद्या और सद्या ये दोनों समानार्थक शब्द हैं तथा सदन, सद्म आदि शब्द वसति-निवास-स्थान के सूचक हैं परन्तु प्राचीन लोगों ने सेज्जा व सिज्जा का संस्कृत रूप ‘शय्या' स्वीकार किया है। हेमचन्द्र जैसे प्रखर प्रतिभाशाली वैयाकरण ने भी 'शय्या' का 'सेज्जा' बनाने का नियम दिया है । सदन, सद्म और सद्या ये सभी पर्यायवाची शब्द है ।
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