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________________ क्षेमविजय - खेमविजय ६७ की रचना नागौर में की। इस रचना का अपर नाम 'अर्हद्दास चरित्र' भी है। इसमें ६४ ढाल है यह सं० १७७९ वैशाख शुक्ल १३ गुरुवार नागौर में लिखित है। इसका प्रारम्भ इन पंक्तियों से हुआ है— रचनाकाल- 'सम्यकत अठार वरस गुणी यासी अ, अहिपुर सहर मजारो रे, "अरि गंजण अरिहंत जी, वर्द्धमान जिणचंद, हरिलक्षण कंचन वरण, समय परमानंद । ――― - मास वैशाख शुक्ल पख तेरस, शुभ मूरत गुरुवारो रे ।' अंत- “अहे सांभला अरदास चरित्र, समकत राख जा रुडा रे, समकत कौमुदी ग्रंथनि शाखा, कोई मत जाणजा रुडो रे । समकल जोत प्रकाश ग्रंथ अ, तिमिर मिथ्या मत दे टाला रे, जे नरनारी (हीरदें) धारज्यां, फलसी मंगलमाला रे । ८५ आपकी एक अन्य रचना 'त्रिलोक सार भाषा' सं० १८८४ का उल्लेख क० च० कासलीवाल ने किया है । ८६ परन्तु कोई उदाहरण आदि नहीं दिया है। देसाई ने जै० गु० क० के प्रथम संस्करण में रचनाकाल भूल से चैत्र शुक्ल ३ दिया था जिसका नवीन संस्करण में परिमार्जन हो गया है। खुस्यालचंद खरतरगच्छीय जयराम आप के गुरु थे। इनकी रचना 'उपदेश छत्तीसी' सं० १८३१ सवाई गॉव में रचित है। राजस्थान के जैन साहित्य में इनकी गणना १९वीं शती प्रमुख कवियों में की गई है पर नाहटा जी ने रचना संबंधी विवरण उदाहरण नहीं दिया है। ८७ के खुशालविजय रचना 'नेमिनाथ चरित्र' बाला० की हस्तप्रति सं० १८५६ की प्राप्त है इसलिए रचना कुछ पूर्व की होगी। इससे संबंधित अन्य विवरण- उदाहरण नहीं उपलब्ध है।८८ खेमविजय आपकी एक रचना का विवरण प्राप्त है— नाम रचना " आषाढ़भूति चौढालियु (सं० १८३९, सोमवी अमावस्या ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002093
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1999
Total Pages326
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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