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________________ हि०जै०सा० की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि २१ हिन्दू परिवार पितृ सत्तात्मक था, वरिष्ट पुरुष सदस्य परिवार का मुखिया होता था। संपत्ति में दाय भाग केवल पुरुषों को मिलता था। औरतों को पर्दे में और पूर्ण नियंत्रण में रखा जाता था किन्तु माता, पत्नी और पुत्री के रूप में उन्हें परिवार में पर्याप्त संरक्षण सुलभ था। निम्नवर्गीय स्त्रियाँ खेत खलिहानों में काम करती थी और उनके साथ मनचले संपन्न पुरुष यदा कदा बलात्कार भी करते थे । पुरुष एकाधिक पत्नियाँ, रखैल, उपपत्नियाँ रखते थे, पर स्त्रियों को यह हक़ नहीं था, पुनर्विवाह निंदित समझा जाता था। शादीविवाह में उच्च वर्ग खूब फिजूल खर्ची करता था; उत्तर भारत में विधवाओं को कभीकभी जबरन सती होने पर बाध्य किया जाता था। दक्षिण भारत में यह प्रथा नही थी । निम्न वर्ग में विधवा विवाह और पुनर्विवाह चलता था। जनता में अंधविश्वास, रूढ़िवादिता, अशिक्षा का अंधकार व्याप्त था। इस शती में शिक्षा उपेक्षित थी। शिक्षा पद्धति परंपरित और रूढ़ थी। पश्चिमी दुनिर्या में घटित होने वाले परिवर्तनों से भारतीय शिक्षा का संपर्क नहीं था। विज्ञान, भूगोल तकनीकी शिक्षा का पूर्ण अभाव था । शिक्षा का माध्यम संस्कृत, फारसी और देशी भाषाऐं थी । संस्कृत विद्यालयों में व्याकरण, न्याय दर्शन, काव्य, कर्मकाण्ड आदि विषयों की परंपरित शिक्षा दी जाती थी। फारसी भाषा को राजकीय संरक्षण प्राप्त होने से इसकी पढ़ाई अधिक होती थी। आमतौर पर प्राचीन परंमरा प्राप्त शिक्षा पद्धति ही विद्यालयों और मदरसों में चलती थी। यह शिक्षा भी उच्चवर्ग तक ही सीमित थी। स्त्रियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया गया था। शूद्रों का प्रवेश विद्यालयों में असंभव सा था। इसलिए साक्षरता का औसत काफी कम था। इसलिए मौलिक चिंतन और प्रगतिशील सोच-विचार का चलन नहीं था, गतानुगतिकता सभी क्षेत्रों में बढ़ती पर थी । यह सब होते हुए भी भारतीय समाज कुशिक्षित, असंस्कृत और अभद्र नहीं था । समाज में शिक्षकों का बड़ा सम्मान था। संस्कृति और साहित्य की सामान्य स्थिति संस्कृति परंपराप्रिय थी। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन तथा उसके व्ययभार का वहन प्रायः शाहीदरबार, सामंत और सरदार करते थे। इस शती में उनकी माली हालत पतली हो गई थी इसलिए सांस्कृतिक क्रियाकलाप के नाम पर नाच-गान ही होते थे। मुगल वास्तुकला और चित्रकला का ह्रास हो रहा था। दिल्ली के अनेक कलाकारों ने हैदराबाद, अवध, बंगाल और पटना के नवाबो- सामंतो के यहाँ जाकर संरक्षण प्राप्त किया था और इसके कारण चित्रकला की नई-नई स्थानीय शैलियों का प्रारम्भ हुआ । संगीत की स्थिति सदाबहार थी। मुहम्मदशाह और अवध के नवाबों के संरक्षण में संगीत की कई नवीन शैलियाँ जैसे टप्पा, खेमटा, ठुमरी आदि का चलन हुआ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002093
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1999
Total Pages326
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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