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________________ लेखकों की गद्य रचनाओं का विवरण २७५ अहवो जंबू चरित्र सांभली से सदहस्यें ते, प्राणी आराधक जीव जांणवा तो प्राणी मोक्ष जास्ये।२६ गुणट्ठाणा द्वार, श्रीपाल कथा टव्वा, भरतेश्वर बाहुवलि वृत्ति स्तवक आदि गद्य कृतियों के नाम से स्पष्ट है कि टव्वा, वृत्ति आदि भी टीका के ही विभिन्न गद्य रुप हैं। भरतेश्वर बाहुबलि वृत्ति की मूल रचना शुभशील ने सं० १५०९ में संस्कृत भाषा में की थी, प्रस्तुत रचना उसी की टीका है। गौतम पृच्छा बाला० का मूल ग्रंथ प्राकृत में था, इसकी गद्य भाषा का नमूना प्रस्तुत है तीर्थनाथ श्री महावीर ने नमस्कार करी नई.... इह गौतम तेह वे स्वरुप सांभलो स्या पदार्थ थी भला भुंडा सुख दुख। अथ हवें श्री महावीर२७ नी वाणी नी अतिशय ऊपरि डोकरी नी कथा लखीइ छ। धर्म परीक्षा कथा बाला०, अष्टाह्निका महोत्सव टब्वो और व्याख्यान श्लोक आदि इसी प्रकार की अज्ञात लेखकों द्वारा लिखित टीका संबंधी गद्य कृतियाँ हैं। प्रायः ये सभी गद्य रचनायें टीकायें हैं। मूल गद्य रचना का मरुगुर्जर गद्य साहित्य में प्रायः अभाव है। कुछ धार्मिक मान्यतायें भी ऐसी थी जिनके चलते मूल रचनायें नहीं हो सकी। सम्यकत्व परीक्षा बाला० का मूल ग्रंथ विवुधविमल द्वारा संस्कृत में लिखा गया था। यह सं० १८१३ की रचना है। आदि- प्रणम्य पार्श्वनाथेशं गुरुणां चरणांबुजं भव्यजीवोपकाराय सम्यक बोधो वितन्यते। 'संघयणी रयण टव्वो' का मूल ग्रंथ श्री चंद्र कृत प्राकृत भाषा में है। भव वैराग्यशतक बाला०, मौन अकादशी कथा बाला०, रोहिणी व्रतोद्यापन, सप्तव्यसन कथा समुच्चय टव्वो, कार्तिक पंचमी कथा टव्वो, विंब प्रवेश विधि, कल्पसूत्र टव्वार्थ आदि अनेक रचनायें इसी प्रकार की हैं जिनके गद्य के नमूने अत्यल्प हैं जिनके द्वारा गद्य का स्वरुप और भाषा की प्रकृति आदि का विश्लेषण संभव नहीं है। जहाँ दो चार पंक्तियाँ गद्य की प्राप्त हैं उनसे अर्थ स्पष्ट कम होता है बल्कि लद्धड़ गद्य शैली के कारण अर्थ मूल की तुलना में और दुर्बोध हो जाता है। जो हो, जिन्हें अधिक जिज्ञासा हो वे लोग इनकी पाण्डुलिपियाँ ढूढ़ कर तत्कालीन गद्य का स्वरुप समझ सकते हैं। अत: उनका नाम और जहाँ जितना संभव और सुलभ है वहाँ उद्धरण-विवरण भी प्रस्तुत करने का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002093
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1999
Total Pages326
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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