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हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास रास' की रचना ग्राम कुचेरा मे पूर्ण की।४३८ इसका विवरण निम्नवत् है
ढूढक रासों (सं० १८७९ माह बदी ८, कुचेर) आदि- सरसति माता समरि करि, सद्गुरु वंदी पाय,
कथा कहुं ढुढया तणी, सहुने आने दाय। रचनाकाल- संवत रस मनि सिद्ध भ कहीये;
माह मास बदि आठम लहीये। खरतरगच्छ बधे बड़शाखा, नगर कुचेर में कीनी भाषा। मारु देस मझार बणायो, कुमति तणो अधिकार सुणायो
ग्यान कीरत गुरु आज्ञा दीन्ही, हेमविलास मुनि रचना कीनी।४३९
जै०गु०क० के प्रथम संस्करण में देसाई ने इस रचना के कर्ता का नाम हेमविमल बताया था किन्तु रचना में लेखक ने अपना नाम हेमविलास दिया है। अत: यही नाम नवीन संस्करण में मिलता है।
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