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________________ १४२ हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास जग में बधंन दोय कहा, राग तथावली द्वेष, तेहमा पणवली राग ज बडु, तेह थी दोष अशेष। रचनाकाल- मुनि पाण्डव गज चन्द्रमा रे लाला वरसे ते श्रावण मास, पंचमी उज्वल पक्ष नी रे लाला, सुर्यवार सुप्रसिद्ध।। ‘जयानंद केवली रास' (९ खण्ड २०२ ढाल सं० १८५८ पोल शुक्ल ११ लीवंडी)- श्री जयानंद सोभागिया केवल लक्ष्मीकंत, धर्म द्वि आराधीने शिव सुख जे साधंत। रचनाकाल- संवत अठार अठावन वरसे, लीवंडी रही चौमासु जी, पोष सुदी अकादशी दिवसे, कीधो मे अभ्यास जी। आपने और सञ्झाय आदि भी अनेक लिखे हैंयथा- 'समकित पंचीसी स्तवन ६८ कड़ी १८११ आसो शुक्ल २, भावनगर; यह जैन प्राचीन पूर्वाचार्यों रचित स्तवनसंग्रह में प्रकाशित है। सिद्ध दंडिकास्तवन ३८ कड़ी १८१४ सुरत, चौमासा, पंचकल्याणक स्तव १८१७, चौबीसी (दो) चौबीसी बीसी संग्रह और चौमासीना देववंदन, २४ दण्डक वीर गर्भित वीर जिन स्तवन (८९ कड़ी भावनगर), खंभात चैत्य परिपाटी, पंचकल्याणक मासादि सिद्धचलाद्यनेक तीर्थ स्तव संग्रह तथा सिद्ध चक्रादि नमस्कार संग्रह आदि अनेक रचनायें हैं। इनके अलावा सिद्धांचल स्तवनावली, जिनेन्द्र भक्ति प्रकाश, जैन काव्यप्रकाश आदि सभी प्रकाशित रचनायें हैं। नेमजिनादिक स्तुति संग्रह संञ्झाओं संग्रह, गहूली संग्रह आदि भी संग्रहीत प्रकाशित है। इस प्रकार इनके पद्य रचनाओं की संख्या सैकड़ों हैं। गद्य में सीमंधरना ३५० गाथा ना स्तवन पर बाला १९३०, (मूल यशोविजय कृत), सञ्झाय अने स्तवन संग्रह में प्रकाशित है। गौतम कुलक बाला० १८४६, वसंतपंचमी बुध (मूल प्राकृत) गौतम पृच्छा बाला० महावीर हुंडी स्तव बाला० १८४९, संयम श्रेणी बाला० आदि बीसो गद्य रचनायें है जो संकलित प्रकाशित है। इनका रचना संसार विविध, बहुआयामी वृहद और विद्वतापूर्ण तथा काव्यमय है। इनकी एक रचना नेमिनाथ चरित्र रास १८२० का उल्लेख उत्तमचंद कोठारी की सूची में भी है। यह पूर्व वर्णित नेमिनाथ रास ही होगा। उत्तमचंद ने उदाहरण नहीं दिया। खेद है कि इनकी गद्य रचनाओं का नमूना एक भी नहीं मिला अन्यथा ये सक्षम कवि के साथ समर्थ गद्यकार के रूप में १९वीं शती के जैन कवियों और साहित्यकारों में अग्रगण्य स्थान के अधिकारी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002093
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1999
Total Pages326
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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