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________________ उदय रत्न कुरुवंश पण के तला नरनारि निरधार, जिनधर मि जेजेथया कहूं तेहनो अधिकार । इसे कवि ने उनाऊ ग्रामवासी केशव मेहता के पुत्र गोविंदजी के परिवार में भवानीदास के पुत्र थोभण के आग्रह पर लिखा था, रचनाकाल का वर्णन प्रस्तुत है संवत सत्तर नवांणुया वर्षे चैत्र शुद नवमी गुरुवार जी, पुण्य नक्षत्रे सुकर्मा सुभयोगे, वच्यो जयजयकार जी । चीडोत्तर मां ऊबंरठ गामे, श्री शांतिनाथ पसायजी, पूरण रास चड्यो परमाणे, संपद वाघी सवाय जी । " महिमती राजा अने मतिसागर प्रधान रास ( यह भी धर्मबुद्धिमंत्री रास जैमी ही प्रधान या अमात्य पर आधारित रचना है) यह सं० १८८० में पूना से छपी है । इनकी इतनी अधिक रचनायें हैं कि उनका पूर्ण विवरण देने के लिए एक छोटा-मोटा ग्रंथ अपेक्षित है । अतः केवल अन्य ज्ञात प्रमुख रचनाओं का रचनाकाल के साथ आगे नामोल्लेख किया जा रहा है । ق را सूर्ययशा ( भरतपुत्र) रास सं० १७८२; भामा पारसनाथ नुं स्तवन १७७९, महावीर गीत, पार्श्वस्तवन, सिद्धाचल स्तवन, शत्रुंजयपद, शत्रुंजय स्तवन, दंडक स्तवन, भांगवारक संञ्झाय १७९५, बलभद्रमुनि वैराग्य संझाय, जोबन अस्थिर संञ्झाय, नारीने शिखामण संञ्झाय, परस्त्री त्याग संञ्झाय, शिष्य विषे सिखामण आदिसंञ्झाय तथा गुरु भास, हीररत्नसूरिभास, जयरत्नसूरिभास, भावरत्नसूरिभास इत्यादि कई भास और पंचमी स्तवन, भीड़भंजन स्तवन, अजितनाथ स्तवन, चार कषाय चरित्र विनती आदि बहुतेरी रचनायें हैं जिनमें अनेक उत्तम कृतियाँ हैं । इनका थोड़ा परिचय दे रहा हूँ । चार कषाय चरित्र विनती ( १५ कड़ी) महत्वपूर्ण रचना है उसका प्रारंभिक छंद आगे दिया जा रहा है Jain Education International प्रभो पाय पूंजी पवित्रेय होई, नमूं निम्मल भाविहि सामि जोई । १. मोहनलाल दलीचंद देसाई जैन गुर्जर कविओ भाग ५ पृ० ११०-१११ ( न० सं० ) । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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