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________________ मरुगुर्जर हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग १ केशवलाल सवाईभाई द्वारा तथा जैन संञ्झायमाला भाग २ में बालाभाई द्वारा प्रकाशित हो चुकी है। इन्होंने कई शलोको लिखे हैं जिनमें शालिभद्र शलोको (६६ कड़ी सं० १७७० मागसर शुक्ल १३) और भरत बाहुबल नो शलोको भी शलोकासंग्रह भाग १ में ही प्रकाशित है। भावरत्न सूरि प्रमुख पाँच पाट वर्णन गच्छ परंपरा रास (३१ ढाल १७७०) में पाँच पट्टधरों-राजविजय, रत्नविजय, हीररत्न, जयरत्न और भःवरत्न की पट्ट परंपरा और उनके गुणों का वर्णन है। यह बारेजा में प्रारंभ हुई और खेड़ा में पूर्ण हुई थी। ___ ढंढण मुनिनी संञ्झाय (१७ ढाल सं० १७७२ भाद्र शुक्ल १३ बुधवार, अहमदाबाद) इसे संघवी मलूकचंद के आग्रह पर ढंढणमुनि के तप का वर्णन करने के लिए लिखा था। चौबीसी (सं० १७७२ भाद्र शुक्ल १३ बुधवार, अहमदाबाद) चौबीसी बीसी संग्रह और ११५१ स्तवन मंजूषा में प्रकाशित है । धमनक रास (१३ ढाल १८३ कड़ी सं० १७८२ असो कृष्ण ११ बुध अहमदाबाद) की कथा 'वसुदेव हिन्डी' पर आधारित है। वरदत्त गुणमंजरी रास (सौभाग्यपंचमी व्रत के माहात्म्य पर लिखी गई; १३ ढाल सं० १७८२ मागसर बुध, अहमदाबाद) यह कनककुशल कृत मूल रचना पर आधारित है। सुदर्शन श्रेष्ठी रास (२३ ढाल सं० १७८५ भाद्र कृष्ण ५ गुरु मालज) यह रचना देवेन्द्र कृत प्रश्नोत्तर रत्नमाला से प्रेरित है। विमल मेहता नो शलोको (११७ कड़ी सं० १७९५ ज्येष्ठ शुक्ल ८ खेडा हरियाणा) यह 'सलोका संग्रह में प्रकाशित है । नेमनाथ राजिमती बारमास या तेरमास (सं० १७९५ श्रावण शुक्ल १५ सोम ऊनाउ) रचनाकाल-भ रसी भूत नंदी जुत संबछर न नाम श्रावण सुदि पून्यम ससी, उनाऊ मां शुभथान । यह 'मध्यकालीन बारमासा संग्रह भाग १' में प्रकाशित है । हरिवंश अथवा रस रत्नाकर रास (सं० १७९९ चैत्र शुक्ल ९ गुरु उमरेठ) इसमें कुरुवंशोत्पन्न जैन महापुरुषों का चरित्र वर्णित है, यथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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