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________________ ४९८ मरुगुर्जर हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास कलश में इसका रचनाकाल दिया गया है-- इम मिद्ध तीरथ तणीय यात्रा चैत्र परिपाटी करी, छअ री पालत जेह विचरै, सूद्ध आतम संवरी। मुणि शांति विजये सुजस कीधो, हेत आणी इक मने; संवत्त सतर सताणू आना माघ सित दुतीया दिने । शामलदास--शामलभट्ट आप गुजराती आद्य कवियों में अग्रणी हैं । आपकी रचना पंचदण्ड चौपाई प्रकाशित है । इसमें कुल ५९७ पद हैं। इनकी दूसरी रचना नंद आख्यान या नंद बत्रीसी ५०४ कड़ी की है। यह भी प्रकाशित हो चुकी है। कवि शामलभट्ट के सम्बन्ध में विशेष जानकारी के लिए तथा उनके साहित्य का रसास्वादन करने लिए अंबालाल जानी द्वारा सम्पादित 'सिंहासन बत्तीसी' और उसकी प्रस्तावना का अंश 'कवि शामल' द्रष्टव्य है। यह कृति बडोदरा साहित्य सभा द्वारा प्रकाशित है ।। श्यामकवि--आपने 'तीन चौबीसी चौपाई' की रचना सं० १७५९ में की। इसका अन्य विवरण या उद्धरण अज्ञात है।' शिरोमणि दास - दो शिरोसणि नामधारी कवि पहले हो चुके हैं। शिरोमणि मिश्र ने सं० १६७५. में 'जसवंत विलास' की रचना की थी। दूसरे शिरोमणि दास १७वीं शती के अंतिम चरण में विद्यमान थे और उनका शाहजहाँ के दरबार में अच्छा सम्मान था। प्रस्तुत शिरोमणिदास साधु गंगादास के शिष्य थे। ऐसा प्रतीत होता है कि ये जैन धर्म में निष्ठा रखते थे और भट्टारक सकलकीर्ति से प्रभावित थे। उन्हीं की प्रेरणा से इन्होंने सिगरौल में 'धर्मसार' नामक ग्रंथ की रचना की थी। उस समय वहाँ राजा देवीसिंह का १. मोहनलाल दलीचन्द देसाई--जैन गुर्जर कवियो, भाग ३, पृ० १४६८ (प्र०सं०) और भाग ५, पृ० ३५६-३५७ (न० सं०)। २. वही, भाग ३, पृ० २१७८-७९ (प्र०सं०)। ३. डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल-राजस्थान के जैन शास्त्र भंडारों की ग्रंथ सूची, भाग ४, पृ० १६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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