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मरुगुर्जर हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास शीलवती रास (४८० कड़ी सं० १७५८ भाद्र शुक्ल ८ पाटण)
रत्नशेखर रत्नवती रास (३६ ढाल ७७० कड़ी सं० १७५९ माह शुदी २) __रात्रिभोजन परिहारक रास (अमरसेन जयसेन)- यह भीमसिंह माणेक और सवाई भाई रायचंद द्वारा प्रकाशित कृति है।
रत्नसार रास (३३ ढाल ६०४ कड़ी सं० १७५९ प्रथम श्रावण कृष्ण ११ सोमवार, पाटण) . जंबूस्वामी रास (४ अधिकार ८० ढाल १६५७ कड़ी सं० १७६० जेठ वदी १०, बुध, पाटण)
श्रीमती रास (नवकार के महत्व पर १३ ढाल सं० १७६१ माघ शुक्ल १०, पाटण)
आराम शोभा रास (२१ ढाल ४२९ कड़ी सं० १७६१ जेठ शुक्ल ३, पाटण)
यह रास आरामशोभा के शील का महत्व बताती है। जयंत कोठारी ने संपादित करके कथामंजूषा श्रेणी पु०२ में प्रकाशित किया है। __ वसुदेव रास (५० ढाल ११६ कड़ी सं० १७६२ आसो सुद २ रविवार पाटण),
इन बृहदाकार रासो में कवि ने सर्वत्र स्वयं को शांतिहर्ष का शिष्य बताया है। इनमें यत्रतत्र सुंदर काव्यात्मक स्थल हैं और जैनधर्म संबंधी सदुपदेश हैं। इनके अलावा इन्होंने संज्झाय स्वाध्याय, स्तवन आदि नाना छोटी-छोटी रचनाएँ भी की हैं इनमें वयर स्वामी ढालवंध संज्झाय अथवा भास (१५ ढाल सं० १७५९ आसो शुक्ल १), स्थूलभद्र स्वाध्याय (१७ ढाल १५१ कड़ी सं० १७५९ आसो सुद ५ मंगल, पाटण), नर्मदासुंदरी स्वाध्याय (२९ ढाल २१४ कड़ी सं० १७६१ ज्येष्ठ शुक्ल ३, पाटण) इत्यादि विशेष उल्लेखनीय है ।
सीता मुद्रडी, महावीर छंद, पार्श्वनाथ छन्द आदि छोटी रचनाएँ जिनहर्ष ग्रंथावली में संग्रहीत हैं। आपने नाना काव्य रूपों में सैकड़ों छोटी बड़ी रचनायें की हैं। ये रचनायें बावनी, छत्तीसी, पचीसी, बीसी, प्रहेलिका, समस्या पूर्ति आदि नाना रूपों में उपलब्ध हैं । उदाहरणार्थ सुगुरु पचीसी, ऋषि बत्तीसी, चौबोली कथा दूहा चार मंगल
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