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________________ १७१ जिनहर्ष ऋषिदत्ता रास (२४ ढाल ४५७ कड़ी सं० १७४९ फाल्गुन कृष्ण १२ बुध, पाटण) सुदर्शन शेठ रास (सं० १७४९ भाद्र शुक्ल १२ शुक्रवार पाटण) - इसकी कथा योगशास्त्र की टीका से ली गई है। कवि ने लिखा है योगशास्त्र नी टीका मांहि छइ रे, अह अवल अधिकार, ते जोई मइ रास कीयउ भलइ रे, सांभलिजो नरनार ।' अजितसेन कनकावती रास अथवा चौपइ (४३ ढाल ७५८ कड़ी सं० १७५१ महा वदि ४) रचनाकाल --निशिपति बांण वारिधि शशि वरस, चौथ अंधारी माह नी हरसै हो । - महाबल मलयसुन्दरी रास (१४२ ढाल ३००६ कड़ी सं० १७५१ आसो शुदी १, शनि, पाटण) यह रचना आगमिया गच्छ के जयतिलक सूरि कृत मलयसुन्दरी रास पर आधारित है। गुणकरंड गुणावली रास (२६ ढाल सं० १७५१ आसो वदी २ पाटण) २० विहरमान जिन स्तव (२० गरबा १३७ कड़ी सं० १७५५ बीजा वैशाख शुक्ल ३) यह जिनहर्ष ग्रन्थावली में संकलित है। सत्यविजय निर्वाण रास (सं० १७५६ महा सुदी १० पाटण) यह जैन ऐतिहासिक रास माला भाग १ में प्रकाशित है। शत्रुजय माहात्म्य रास (९ खण्ड, ७० ढाल ६४५० कड़ी सं० १७५५ आषाढ़ कृष्ण ५, बुधवार, पाटण) रत्नचूड रास (३१ ढाल ६२७ कड़ी सं० १७५७ आसो शुक्ल १३ शुक्रवार, पाटण) अभयकुमार (श्रेणिक) रास अथवा चौपाई (११ ढाल सं० १७५८ श्रावण शुक्ल ५, सोम, पाटण) १. मोहनलाल दलीचन्द देसाई--जैन गुर्जर कविओ भाग ४ पृ० ११६ (न. सं.)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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