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मरुगुर्जर हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास यह रचना कई स्थानों से प्रकाशित है। डाह्याभाई लल्लूभाई और मोहनलाल दलसुखराम ने इसे प्रकाशित किया है। इसमें प्रसिद्ध चालक्य नरेश कुमारपाल का जीवन वृत्त वर्णित है। रचना काव्य सौष्ठव की दृष्टि से भी पठनीय है। ___ उत्तमचरित्रकुमार रास (२९ ढाल, ५८७ कड़ी सं० १७४५ आसो सुद ५, पाटण) आदि - चरण जिणेसर चित्त धरूं, करुं सदा गुण ग्राम,
भावउ भाजे भव तणी, लीजें ते तस नाम । रचनाकाल-भुत वेद सायर शशी, आशो सुदी पंचमी दिवसे रे,
उत्तम चरित्र कुमार नों में रास रच्यो सुजगीस रे। हरिबल लछी रास (३२ ढाल ६५९ कड़ी सं० १७४६ आसो सुद १ बुध, पाटण) यह आनन्द काव्यमहोदधि मौक्तिक ३ में प्रकाशित है ।
वीशस्थानक रास अथवा पुण्यविलास रास (१३२ ढाल, ३२८७ कड़ी सं० १७४८ वैशाख शुक्ल ३) का आदि---
सकल सिद्धि सम्पति करण हरण तिमिर अज्ञान, अणे कालनां जिन नमुं आणी भाव प्रधान । चार भेद जिन धर्मना दान शील तप भाव,
सुखाराम अमृत जलद, भवदुख-सायर-नाव । इसकी कथा विचारामृत ग्रन्थ से संग्रहीत है, यथा --
ग्रंथ विचारामृत संग्रही अह रुओ मन भावो,
अधिको ओछो जे कोइ भाख्यो पण्डित तेह शोधावो रे । यह भीमसी माणक द्वारा प्रकाशित रचना है ।
मृगांकलेखा रास (४१ ढाल सं० १७४८ आषाढ़ कृष्ण ९, पाटण) रचनाकाल-सतर अड़तालीस में आसाढ़ वदि नुमि दीस,
रास पाटण में रच्यो ढाले इकतालीस । अमरदत्त मित्रानन्द रास (३९ डाल ८५० कड़ी सं० १७४९ फाल्गुन वदी २, सोम, पाटण) रचनाकाल --निधि वेद रिसि शशिवच्छरइ, वदि बीज फागुण मास,
शशिवार पाटण नयरमई अ मई कीधउ रास ।
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