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ऋषभदास
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यह रचना 'आनंदकाव्य महौदधि' मौक्तिक तीन में प्रकाशित है। इसमें प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के दोनों पुत्रों का चरित्र वर्णित है। क्षेत्रप्रकाशरास - (५८२ कड़ी सं० १६७८ माधव मास शुक्ल ३
गुरुवार, खंभात) रचनाकाल-आज आशा फली रे जेह मि क्षेत्रप्रकाश कीधो,
संवत सिद्धि मुनि अंग विश्वंभरा, मान वहुमांन स्यु सो प्रसीधो । माधव मास मांहि पणि नीपनु, नीरमली बीज नि 'गुरुहवारे' रासवर क्षेत्रप्रकाश मि जोडीओ,
नगर त्रंबावती सोय मझारे ।" 'समकितसार' (८७९ कड़ी, सं० १६७८ ज्येष्ठ शुक्ल २, गुरुवार,
खंभात) आदि---आशा पोहोती मुझ मन केरी, रचीउं समकितसार जी,
अक्षर पद गाथा जे जाणू, ते कवीनो आधार जी। रचनाकाल --वारण वाडव रस ससी संख्या, संवछरनी कहीइ जी,
स्त्रीपति वृध सहोदर सगयणि, मास मनोह लहीइ जी प्रथम पक्ष चन्द्रोदय दूतीआ गुरुवारि मंडाणा जी,
त्रंबावती मांहि नीपाओ विबुध करइ परमाण जी।"१ 'बारआरास्तवन' अथवा गौतम प्रश्नोत्तरस्तव (७६ कड़ी सं० १६७८ भाद्र शुक्ल २, बावती) इस रचना में 'मनोहर हीर जी', सुरसुन्दरी कही शिरनामी' आदि तों पर १८ ढाल हैं। रचनाकाल इस प्रकार कहा गया है ---
"भल स्तवन कीधं नाम लीधं गौतम प्रश्नोत्तर सही,
संवत सिद्धि मुनि अंग चंदि भादव सुदि द्वितीया तही।" यह कृति 'चैत्य आदि सञ्झाय माला ३, पृ० ११७-१२५ पर प्रकाशित है। उपदेशमालारास--(६३ ढाल, ७१२ कड़ी सं० १६८० माहा सुदी
१०, गुरुवार) १. जैन गुर्जर कविओ भाग ३ (द्वितीय संस्करण) पृ० २३-७९ ।
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