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________________ मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास आदि 'सरसति भगवति भारती, ब्रह्माणी करि सार, वाघेस्वरी वदनि रमि, जिम हुइ जयजयकार ।' रचनाकाल-(सोल संवत्सर) व्याहठइ चीत्रा, वलीय गरुवार भलीउ पवित्रा। नगर त्रंबावती अत्यहई छई सारी, इन्द्रजस्या नर पद्मनी नारी। नगरवर्णन-वाहण वखार्य नर बहु व्यापारी, ___ सायर लहेर सोभत जल वारी। तपनत्तर पोलीउ कोटदरवाजा, साहा जहांगीर जास नगर नो राजा । प्रासाद पच्चासीअ अतिहिं घंटाला, ज्यांहा वितालिस पोषधशाला । अस्यु त्रंबावती बहुअ जनवासो, त्याहां मिजोडीओ रीषभनो रासो।' आत्मपरिचय-संघवी सांगण सूततनसारो, द्वादस वरतनो तेह घरनारो। दान नइ सील तप भावना भावइ, अरीहंत पूजइ गुण साधुना गावे, सांगण सूत पूरि मन तणी आसो, रास रचतो कवी रीषभदासो। इसमें ऋषभचरित के पूर्वकर्ता मुनि हेम का स्मरण किया गया है, यथा_ 'ऋषभचरीत कीउं मुनी हेमि, नरखी रास रचीओ बहुप्रेमि ।' इसमें प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव का चरित्र वर्णित है जिसके प्रति श्रावक कवि ऋषभदेव के मन में विशेष आदर एवं श्रद्धाभाव था। 'व्रतविचाररास' अथवा द्वादश व्रतविचाररास (८१ ढाल, ८६२ ___ कड़ी, सं० १६६६ कार्तिक कृष्ण १५, दीपावली, त्रंबावती) १. जैन गुर्जर कविओ (द्वितीय संस्करण ) भाग ३ पृ० २३-७९; भाग १ पृ० ४०९-५८; भाग ३ पृ० ९१६-३३ तथा भाग ३ खंड २ (प्रथम संस्करण) पृ० १५१७ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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