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________________ ऋषभदास रचनायें-ऋषभदास श्वेताम्बरगच्छ के प्रसिद्ध आचार्य श्री विजयसेनसूरि के शिष्य थे। उन्होंने विजयदेवसूरि, विजयतिलकसूरि और विजयानन्दसूरि का भी गुरुवत् सम्मानपूर्वक स्मरण किया है । आपकी रचनाओं का संसार बड़ा विस्तृत और बहुरंगी है। संस्कृत रचनाओं के आधार पर आपने अनेक अलंकृत रचनायें की हैं । आपका मौलिक साहित्य भी विशाल एवं बहुविध है। आपने रास, स्तवन, स्वाध्याय आदि नाना साहित्यरूपों में सुन्दर साहित्यसर्जना की है। ऋषभदेवरास, व्रतविचाररास, सुमित्रराजर्षिरास, स्थूलिभद्ररास, नेमिनाथ नवरसो, अजाकुमार रास, कुमारपाल रास, जीवविचार रास, नवतत्व रास, भरतबाहुबलि रास, क्षेत्रप्रकाश रास, समकितसार रास, उपदेशमाला रास, हितशिक्षा रास, जीवतस्वामी रास, पूजाविधि रास, श्रेणिक रास, कयवन्ना रास, हीरविजयसूरि रास, मल्लिनाथ रास, अभयकुमार रास, रोहणियामुनि रास, वीरसेन रास, श्राद्धविधि रास, समयस्वरूप रास, देवगुरुस्वरूप रास, शत्रुजयरास, आर्द्रकुमार रास, पुण्यपशंसा रास, हीरविजयसूरि बारबोल रास आदि प्रायः पचास के आसपास केवल रास आपने लिखे हैं। इनके अलावा गौतम प्रश्नोत्तर स्तवन, आदीश्वर आलोयणाविज्ञप्तिस्तव, महावीर नमस्कार, आदीश्वर विवाहलो, २४ जिन नमस्कार, शत्रुञ्जयमंडण श्री ऋषभदेव जिनस्तुति, धूलेवा श्री केशरिया जी स्तव आदि अनेक स्तव और स्तुतियाँ लिखी हैं। मान पर सञ्झाय जैसी सैकड़ों छोटी-छोटी रचनायें भी लिखी हैं। आपका रचनासंसार बृहद् है और सभी रचनाओं का परिचय संक्षेप में भी देने के लिए एक अलग ग्रन्थ की आवश्यकता होगी। फिर भी इस महान कवि के भाव, भाषा, शैली, काव्यत्व और वर्णन क्षमता आदि का यथासंभव संकेत करने की अवश्य चेष्टा की जायेगी। ये मरुगुर्जर भाषा के महान कवि प्रेमानन्द और अक्खा आदि की कोटि के कवि हैं किन्तु साहित्येतिहासों में जितना महत्वपूर्ण स्थान हीरविजयसूरि या जिनचन्द्रसूरि को दिया दिया गया है उतना इन्हें नहीं। जैन साहित्येतिहासकार साहित्येतर विषयों विशेषतया धर्म को साहित्य में भी वरीयता देते प्रतीत होते हैं। यह एक विशेष दृष्टिकोण है जिससे समग्र जैनसाहित्य का वास्तविक मूल्यांकन प्रभावित हुआ है। आगे इनकी कुछ मुख्य कृतियों का परिचय-उद्धरण दिया जा रहा है। ऋषभदेवरास--(११८ ढाल, १२७१ कड़ी सं० १६६२) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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