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उपसंहार
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इस काल के साहित्य को प्रोत्साहन और संरक्षण देने का कार्य तत्कालीन जैन श्रेष्ठी, श्रावक और सौमन्त लोग करते थे, अतः कुछ जैन साधुओं द्वारा स्वान्तः सुखाय और कुछ श्रावकों और सामान्य जनों द्वारा अन्यों के प्रोत्साहन पर पर्याप्त साहित्य रचा गया, और प्रतिलिपियाँ कराई गई तथा उनके भण्डारण की समुचित सुविधा उपलब्ध कराई गई। इन सब कारणों से तत्कालीन युग में उच्चकोटि का साहित्य रचा गया और आज के पाठकों के लिए सुरक्षित रह सका।
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