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गद्य साहित्य
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अन्त - पहिली ब्रतमादंसण धारहु । बीजाव्रत निम्मलउ । तीजा तिहुं काले समाइक । चउथी पोसह सिवसुखदायक !... एकादसमी पडिमा इह परि रिषि जोउं लेइ लिख्या परधर फिरि ।'
कुछ अज्ञात लेखकों की गद्यकृतियाँ भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनकी प्रतियाँ अधिकतर ज्ञानभण्डारों में मिली हैं । इनमें श्रद्धाप्रतिक्रमण बालावबोध, विचारग्रन्थ बालावबोध, कल्पसूत्र बालावबोध, *पवयणा सारोद्धार अवचूरि ( बाला० ), क्षेत्रसमासबालावबोध, दंडकनाबीसबोल ( बालावबोध ), एकबीस स्थानक टबो, संथारग पइन्ना बालावबोध, सूयगडांग बाला०, पंचांगीविचार आदि का संक्षिप्त परिचय श्री देसाई ने जैन गुर्जर कविओ में दिया है । उनमें दो तीन उद्धरण देकर यह प्रकरण सम्पूर्ण किया जा रहा है ।
एक टबा का नमूना देखिये - एक बीस स्थानक टबो की प्रारम्भिक *पंक्तियाँ इस प्रकार हैं
तीर्थंकर अकवीस स्थानक लिखीवइ छइ । जे विमान थकी चव्या ते विमान नाम (१) नगरीनाम ( २ ) पितानाम (३) नाम ( ४ ) --। इत्यादि --
पंचांगी विचार की प्रारम्भिक पंक्तियाँ इस प्रकार हैं
'पंचांगी विचार | ओक इम कहइ : सूत्र, वृत्ति, निर्युक्ति, भाष्य, चूण, अ पंचांगी कहीयइ । ओक इम कहइ : सूत्र अर्थ ग्रन्थ निर्युक्ति संग्रहणी अ पंचांगी..।”
१. जैन गुर्जर कविओ भाग ३ पृ० ३९१ (द्वितीय संस्करण ) २ वही, पृ० ३९४
३. वही, पृ० ३९५ (द्वितीय संस्करण )
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