SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 635
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास लोओ तिरि जंबद्वीप समुद्र माहि पंचिद्री नरक जाहि प्रतर द्वय फरसइ ।' नवतत्व बालावबोध के अन्त की दो पंक्तियाँ उदाहरणार्थ प्रस्तुत हैं-तेह जा मलाइ जि बीजा आकाश प्रदेश अनुक्रमिई लेवा अन्त मुहूर्तइ सम्यक्तनु परिणाम आवइ तु अह पुद्गल परावर्तना अद्धइं जि मोक्षि जाइ। ___'पवयणा' सारोद्धार अवचरि' की भाषा सरस और साहित्यिक है यथा-धर्मरूप पृथिवी अधारिवा भणी माहबराह समान इसा जिनचन्द्रसूरि तेहना शीष्य श्री आम्रदेवसूरिना पगरुपिया कमलनइ पराग सरीषा श्री विजयसेन गणधर कनिष्ठ लहुडउ जसोदेव सूरिनउ येष्ठ वडउ शिष्य श्री नेमचन्द्रसूरि तिणइ विनय सहित शिष्यइ अ शास्त्र कहउ । (१६४६)३ क्षेत्र समास बालावबोध के अन्त की दो पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं अक चन्द्रमानउ नक्षत्र ग्रह तारानउ मान करइ, अट्ठावीस नक्षत्र अट्ठासी ग्रह, छासठी सहस्स नवसइ पचहत्तरि तारानी कोडाकोडी ओक चन्द्रमान उ परिवार जाणीवउ । इस शताब्दी की काव्य रचनाओं के बीच-बीच में भी गद्य प्रयोग उसी प्रकार देखे जाते हैं जैसे हिन्दी की प्रसिद्ध प्रारम्भिक कृतियों -- पृथ्वीराजरासो और कीर्तिलता आदि के बीच में यत्रतत्र गद्य के नमूने उपलब्ध होते हैं। विद्याविलास मूलतः संस्कृत में लिखी प्रसिद्ध जैन कृति है इसके बीच-बीच में गद्य के कुछ अंश उपलब्ध हैं जैसे “वार चउसठि धानुकरणा विद्या आवइ । सरस्वती जाणु । बारह लगमात माहि ते तिन्नि लगमात हवले बोलहि ।। ते कवणु । विन्ना कन्ने । पिछुडी२ लहुड३ अ तिन्नि हवले बोलहि ते लघु कहहि । क.कि कुः । नव लगमात भारी बोलहिं । ते कवण । का, की कू के कै को कौ कं कः ओ नव लगमात गुरु कहावहि ।" १. जैन गुर्जर कविओ भाग ३ पृ० ३९० (द्वितीय संस्करण) २. वही ३. वही, पृ० ३९३ (द्वितीय संस्करण ) ४. वही, पृ० ३९४ (द्वितीय सस्करण) ५. वही पृ० ३९१ (द्वितीय संस्करण) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy