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अज्ञात कवियों द्वारा रचित कृतियाँ
६.५
माधवा नल कामकंदला की प्रसिद्ध कथा पर यह कृति आधारित
अन्त न्याइ भोग संभोगवी, निश्चइनारी रंग,
र तिपति इणि परि पूजीइ, चउविह माहव अंग ।' साधुकुल (१९ कड़ी, १७वीं शताब्दी) आदि वंदी वीरजिनेश्वर पाय, मोह तणु जिणि फेडिउ वाय ।
बोलु साधु असाधु गुण केवि, निसुणु भवीआ कान धरेवि ।। यह साधु असाधु का लक्षण बताने वाली लघुकृति है। आदिनाथ स्तवन-कवि संभवतः दिगम्बर होगा। आदि तुम तरणतारण भवनिवारण भविक मुनियानंदनो,
श्री नाभिनंदन जगतनंदन आदिनाथ ॥३ 'हंसाउलो (पूर्वभव) रास पांचमो खंड (४५ कड़ी)
चउपट चंपानगरी सार, क्षित्रि त्रिणि वसइ उदार,
माहो मांहि अवडी प्रीति, अंक अकन इं चालइ चीति । जंबूस्वामी बेली (२७ कड़ी) आदि कर जोड़ी प्रभवउ भणइ जंबुकुमार अवधारि,
विषयसुख भोगवि भला रंगिइपंच प्रकारि । चौबीसी (३७ कड़ी तक अपूर्ण प्राप्त है) ३७वीं कड़ी इस प्रकार है
कंथुनाथ श्री सम गणीस, साठि सहस्र वांदू प्रभ सीस,
गणधर गुरुआ वर पांत्रीस, तस पामे नित नामुसीस । १. जैन गुर्जर कविओ भाग ३ पृ० १०३८ (प्रथम संस्करण) और भाग ३
पृ० २८० (द्वितीय संस्करण) २. वही भाग ३ पृ० ३५७ (द्वितीय संस्करण) ३. वही ३५७-५८ (द्वितीय संस्करण) ४. वही ५. वही ६. वही भाग ३ पृ० ३६०-३६१
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