SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 609
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास हेमरत्नसूरि-श्री अगरचन्द नाहटा' ने इन्हें पूर्णिमागच्छीय ज्ञानतिलक सूरि का शिष्य बताया है किन्तु श्री मोद० देसाई ने इन्हें ज्ञानतिलक सूरि के शिष्य पद्मराज गणि का शिष्य बताया है जो अतः साक्ष्य के आधार पर सही लगता है। श्री नाहटा ने इनके -सम्बन्ध में एक लेख 'शोधपत्रिका' भाग २ अंक ३ में लिखा है जिसके अनुसार इनकी अग्राङ्कित रचनायें उपलब्ध हैं। अमरकुमार चौपइ शीलावती या लीलावती चौपई, सीताचरित्र, महिपाल चौपई, जगदम्बा बावनी, गोराबादलकथा अथवा पद्मिनी चौपइ आदि । अन्तिम रचना पर्याप्त प्रसिद्ध है । उसका विवरण पहले दिया जा रहा है : गोरा बादल कथा अथवा पद्मणी चौपई सं० १६४७ चैत्र कृष्ण १४ गुरुवार, सादड़ी । इसमें पद्मिनी के पति रतनसिंह की रक्षा करने वाले तथा उन्हें अलाउद्दीन के कैद से छुड़ाने वाले दो प्रसिद्ध राजपूत वीरों-गोरा और बादल की कथा वर्णित है। इसका प्रारम्भ इन पंक्तियों से हुआ है सकल सुषदायक सदा सिद्धि बुद्धि सहित गुणेश, विघन विदारण रिधकरण, पहिली तुझ प्रणमेश । ब्रह्म विष्न शिव सै मुरे, नितु सभरै जस नाम, तिण देवी सरसति तणे, पदजुग करूं प्रणाम ।' इस रचना में कवि ने वीर, शृङ्गार आदि रसों का यथास्थान प्रयोग किया है, यथा - वीरारस शृङ्गाररस, हासरसहितहेज, सांभिध्रम विधि सांभली, ज्युबाधै तनतेज । इसमें पद्मिनी के शीलपालन का सुन्दर चित्रण किया गया है, कवि कहता है सील साच जगि भाषीइ, जसुप्रसादिशुष होइ, पदमणिजिणपरिपालियौ, सांभलियो सहुकोइ । -गुरुपरंपरा-पूनिमपक्ष गिरुआ गणधार, देवतिलकसूरि सुषकार, ग्यांनतिलक सूरीश्वरतास, प्रत पाटें बुद्धिनिवास । १. श्री अगरचन्द नाहटा--परंपरा पृ० ७७ २. जैन गुर्जर कविओ भाग २ पृ० १३-१८ (द्वितीय संस्करण) ३. वही भाग १ पृ० २०७-११, भाग ३ पृ० ६८०-८२ (प्रथम संस्करण) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy