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________________ कीर्तिरि ५६७ पंचगति बेलि ( सं० १६८३ ) इसमें पाँच इन्द्रियों से सम्बन्धित विषयों का वर्णन किया गया है जिनमें फँसकर जीव निगोद में जाता है, अतः उसका कर्त्तव्य है कि वह इन्द्रियों का दास न बनकर भगवान में ध्यान लगाये, इसको प्रति पंचायती मन्दिर दिल्ली और दिगम्बर जैन मन्दिर जयपुर में उपलब्ध है । 'नेमिराजुल गीत' में कुल ६८ पद हैं । 'मोरा' में भी नेमिराजुल को आधार बनाकर भगवत् विषयक रति का वर्णन किया गया है । इसका आदि देखिये म्हारो रे मन मोरडा तू तो गिरनार या उठि आय रे, मिजी स्यों युं कहिज्यो राजमती दुक्ख ये सौ से । मोक्ष गया जिण राजइ प्रभुगढ़ गिरनारि मझार रे, राजल तौ सुरपति हुवी स्वामी हर्षकीर्ति सुकारी रे।" नेमिश्वर गीत में ६९ पद्य हैं । यह भी नेमि की भक्ति में रचित गीतकाव्य है । बीस तीर्थंकर जखड़ी और चतुर्गति बेलि की प्रतियाँ वधीचन्द दिगम्बर जैन मन्दिर जयपुर में उपलब्ध है । 'कर्म हिंडोलना' में १८१ पद्य हैं । इसकी प्रति भी दिगम्बर जैन मन्दिर जयपुर में है । छह लेश्या कवित्त और भजन व पदसंग्रह की प्रति लूणकरजी मन्दिर जयपुर में गुटका नं० १८ में निबद्ध है । इनकी रचनाओं की संख्या पर्याप्त है और वे लोकप्रिय भी हैं अतः आप अच्छे सन्तकवि रहे होंगे पर आपकी रचनाओं के विस्तृत उद्धरण नहीं उपलब्ध हो सके । अन्त -- हर्ष कोति सूरि नागौरी तपागच्छीय रत्नशेखर की परंपरा में जयशेखर > सोमरत्न > राजरत्न > चन्द्रकीर्ति के आप शिष्य थे । ये चन्द्रकीर्ति बागड की भट्टारक गादी से सम्बन्धित भट्टारक रत्नकीर्ति के शिष्य चन्द्रकीर्ति से भिन्न हैं । इन्हीं चन्द्रकीर्ति सूरि के शिष्य हर्षकीर्ति सूरि हैं जो इससे पूर्व वर्णित स्वामी हर्षकीर्ति से भिन्न हैं । आपने अपने गुरु के नाम पर सारस्वत व्याकरण की टीका, नवस्मरण की टीका, सिन्दूर प्रकर टीका, शारदीय नाममाला कोश, धातुतरंगिणी, योगचिन्तामणि, वैद्यकसारोद्धार, वैद्यकसार संग्रह, श्रुतबोध वृत्ति और बृहत् शांतिवृत्ति आदि अनेक ग्रन्थ संस्कृत में लिखे हैं जिनसे १. डॉ० प्रेम सागर जैन - हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि पृ० १७४ १७६ २. डॉ० अगरचन्द नाहटा -- राजस्थान का जैन साहित्य पृ० ५८ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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