SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 564
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सुन्दरदास केवल लहि मुगती गयु, श्री सुधर्मरुचि गुरु सीस रे, पांचसइ परीवारइ परीवर उ, तेहना संघ आसीस रे । इससे लगता है कि यह रचना सुधर्मरुचि गुरु के किसी शिष्य की है। यह विचारणीय है । सुन्दरदास-हिन्दी साहित्य के इतिहास ग्रन्थों में सन्त दादू के दो शिष्यों का नाम सुन्दरदास मिलता है। एक बड़े, दूसरे छोटे सुन्दर दास कहे जाते हैं। छोटे सुन्दरदास ही अधिक प्रसिद्ध हैं। ये जहाँगीर और शाहजहाँ के समकालीन थे। इनका जन्म जयपुर राज्य के द्यौसा नामक स्थान में सं० १६५३ में हुआ था। इनके पिता परमा या परमानंद खंडेलवाल वैश्य थे। सन्दरदास की माँ का नाम सती बताया जाता है। इन्होंने सुन्दर विलास नामक ग्रन्थ लिखा है। यह आध्यात्मिक पदों का संग्रह है। डा० प्रेमसागर जैन ने जैन कवि सुन्दरदास को संतसुन्दरदास से पृथक् कवि बताया है और दिल्ली के पड़ोसी प्रदेश बागड़ को इनका जन्म स्थान बताया है, तथा सुन्दरसतसई, सुन्दरविलास, सुन्दर शृङ्गार और पाखंड पंचासिका नामक चार ग्रन्थों का उन्हें कर्ता बताया है, पर यह कथन ठीक नहीं लगता क्योंकि वहीं वे सुन्दरविलास को संतसुन्दरदास की रचना भी बता चुके हैं। अब देखना है कि क्या सुन्दर शृङ्गार के लेखक जैन कवि हो सकते हैं । ना० प्र० पत्रिका १९०१ संख्या ३ में लिखा है कि इस ग्रंथ के प्रारम्भ में श्री जिनाय नमः लिखा है। साथ ही श्री गणेशाय नमः और सरस्वती आदि की भी वंदना है। यह सम्भव है कि इस ग्रन्थ की हस्तप्रति के लेखक जैन रहे हों और उन्होंने प्रारम्भ में श्री जिनाय नमः लिख दिया हो, पर मूल लेखक जैन न हों क्योंकि श्री मो० द० देसाई ने सुन्दर शृङ्गार के लेखक सुन्दरदास को 'जनेतर विप्र' बताया है। यह तथ्य ग्रंथ के पाठ से भी प्रमाणित होता है, यथा१. हिन्दी साहित्य का वृहद् इतिहास भाग ४ पृ० १९८-२०१, प्रकाशक नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी। २. डा० प्रेम सागर जैन-हिन्दी जैनभक्ति काव्य और कवि पृ० १६१ १६४ तक ३. जैन गुर्जर कविओ भाग ३ पृ० २१५४-५५ (प्रथम संस्करण) ३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy