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________________ ५१४ मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास हर्षनन्दन, सहजविमल, मेघ विजय, मेघकीर्ति, महिमा समुद्र आदि आपके विद्वान् एवं प्रभावशाली शिष्य थे। इतने शिष्यों-प्रशिष्यों के रहते इन्हें वृद्धावस्था में कष्ट हुआ था, यह दुर्भाग्य की बात है। रचनायें - आपकी रचनाओं की संख्या काफी है। सुविधा के लिए उन्हें छह वर्गों में बाँटा जा सकता है १ मौलिक संस्कृत रचनायें, २ संस्कृत टाकायें, ३. संग्रह ग्रन्थ, ४. भाषा या हिन्दी (मरुगुर्जर) की कृतियाँ, ५ बालावबोध या भाषा टीका, और (६) प्रकीर्णक रचनायें, इनमें से चौथे वर्ग अर्थात् हिन्दी या मरुगुर्जर की रचनाओं का विवरण यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है। मरुगुर्जर में प्राप्त इनकी प्रभूत रचनाओं को भी तीन प्रकारों में बाँटा जा सकता है, (१) रास या चौपाई, (२) छत्तीसी (३) अन्य या विविध । रास और चौपाई के अन्तर्गत मुख्य रूप से शाम्ब प्रद्युम्न चौपई, चार प्रत्येक बुद्ध चौपई, मृगावती चरित्र चौपई, सिंहलसुत प्रिय मेलक तीर्थ चौपई, पुण्यसार चरित्र चौपई, नल दमयन्ती चौपई, वल्कल चीरी चौपई, शत्रुञ्जय रास, वस्तुपाल तेजपाल रास, थावच्चासुत ऋषि चौपई, क्षुल्लक ऋषि चौपई या रास, चम्पक श्रेष्ठ चौपई, गौतम पृच्छा चौपई, धनदत्त चौपई, पुन्ज ऋषि रास, द्रौपदी चौपई आदि। पहले इनमें से कुछ प्रमुख र वनाओं का विवरण-उद्धरण दिया जा रहा है। शाम्ब-प्रद्युम्न चौपई (सं० १६५९ विजयादशसी) खम्भात के स्तम्भन पार्श्वनाथ की कृपा से पूर्ण यह रचना एक साहित्य प्रेमी साह शिवराज के आग्रह पर लिखी गई। इसमें कृष्ण पुत्र प्रद्युम्न की कथा जैन पुराणों के अनुसार वर्णित है । इसमें २२ ढाल हैं। चार प्रत्येक बुद्ध चौपई या रास (चार खण्ड, ४५ ढाल ८६२ कड़ी) सं० १६६५ ज्येष्ठ शुक्ल १५, आगरा में लिखी गई। बुद्ध तीन प्रकार के होते हैं स्वयं बुद्ध, प्रत्येक बुद्ध और बुद्ध बोधित । जो किसी घटना के कारण बुद्ध होता है वह प्रत्येक बुद्ध कहा जाता है। इसमें चार प्रत्येक बुद्धों की कथा है। इसको 'आनन्दकाव्य महोदधि भाग ७ में प्रकाशित किया गया है। सीताराम चौपई- यह अति वृहद् रचना है । इसमें ९ खण्ड २४१२ कड़ी हैं। यह सं० १६८७, मेड़ता में लिखी गई। इसमें जैन परम्परा में प्रचलित रामकथा विशेषतया 'पउम चरिउ' के आधार पर वर्णित है। यह जैन रामायण समस्त जैनरास साहित्य में विशिष्ट Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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