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________________ विक्रम ४५९ः आराधना गीत (२८ कड़ी) एक मुक्तक भक्तिकाव्य है। इसका प्रारम्भ देखिये श्री सरसती नमी वर पाय, गोरुआ गणधर राय, कहुं आराधना सुविशेष, सुणे पाप न रहे लवलेस । अन्त- वादिचंद्रसूरि प्रतिबोध, सुणी करज्यो म निरोध, आराधना कह्यो विचार, सुणि सांय जे सुखभंडार ।' अम्बिका कथा-इसमें देवी अम्बिका के प्रति भक्तिभाव प्रदर्शित किया गया है। यह रचना श्री अगरचंद नाहटा द्वारा अनेकान्त वर्ष १३ किरण ३-४ में प्रकाशित है। पाण्डवपुराण-यह रचना सं० १६५४ में नौधक में की गई। इसकी प्रति तेरह पंथी मंदिर, जयपुर में सुरक्षित है। पवनदूत (पद्य संख्या १०१) मेघदूत के ढंग की रचना है। यशोधर चरित (सं० १६५७) और सुलोचना चरित सं० १६६१ में लिखित रचनायें हैं । श्री नाथूराम प्रेमी ने जैन साहित्य और इतिहास में इनकी एक अन्य रचना पार्श्वपुराण का भी उल्लेख किया है। ये रचनायें संस्कृत में लिखी गई हैं इसलिए इनका विवरण-उद्धरण नहीं दिया है। वादिचंद ने संस्कृत और हिन्दी (मरुगुर्जर) में पर्याप्त साहित्य लिखा है और वे अपने समय के अच्छे विद्वान् तथा संत थे। विक्रम-मेघदूत के ही ढंग का एक काव्य 'नेमिचरित' इन्होंने लिखा है लेकिन इसका विवरण इतना ही ज्ञात है कि इसमें राजीमती का विरह विलाप कालिदासकृत मेघदूत के प्रत्येक श्लोक के चौथे चरण को अपने श्लोक का चौथा चरण मानता हआ काव्यबद्ध किया गया है। काव्य अवश्य भावपूर्ण, सरस और विद्वत्तापूर्ण होगा किन्तु यह संस्कृत में रचा गया है, इसलिए हमारी सीमा में नहीं आता। विक्रम अच्छे कवि थे, परन्तु इन्होंने मरुगुर्जर में भी कुछ रचा है या नहीं, यह ज्ञात नहीं है। १. जैन गुर्जन कविओ भाग २ पृ० २७०-२७१ (द्वितीय संस्करण) और भाग ३ पृ० ८०३-८०५ (प्रथम संस्करण) २. डा० प्रेम सागर जैन-हिन्दी जैन भक्ति काव्य पृ० १३७-१४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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