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________________ - - .४०९ ब्रह्मरायमल्ल ब्रह्मरायमल्ल जगि जाणिय, स्वामी जी पार्श्वनाथ को जी थानि ।' रचनाकाल--अहो सोलाहस पन्दरह रच्यो रास, सावलि तेरस सावण मास । झुंझनू--रचनास्थान का वर्णन बागवाड़ी घणी नीकैजी ठाणि, वस हो महाजन नग्र झाझौणि । पौणि छत्तीस लीला करें गाम को साहिब जाति चौहाण । इसमें कुल १४५ कड़वक छंद है। हनुमंतकथा (रास या चौपइ)--यह कृति कवि ने रविषेण की संस्कृत रचना पद्मपुराण की कथा के आधार पर तैयार की है। पवन आदितपुर के राजा प्रह्लाद के पुत्र थे। उनकी शादी वसंतनगर के राजा महेन्द्र की पुत्री अंजना से हई थी। शादी के तत्काल बाद वे रावण की सहायता के लिए घर से चल पड़े किन्तु रास्ते में एक सरोवर के पास विरह व्याकुल चकवी को देख उन्हें अंजना की चिन्ता हुई और वे घर लौट आये, रात्रि विहार किया, अंजना गर्भवती हो गई और पवन रात्रि में ही सैन्य छावनी में चले गये। बाद में गर्भवती अंजना पर सन्देह करके उसे देशनिकाला दे दिया गया; कवि कहता है-- जा दिन आवै आपदा ता दिन प्रीत न कोई, माता पिता कुटुंब सहु ते फिरि वैरी होई । इसका मंगलाचरण देखिये स्वामी सुव्रतनाथ जिणंद, सुमिरत होइ सिद्धि आणंद । नमौ सीस जोड़कर दोय, नासै पाप भलीमति होय ।। घर से निकलकर अंजना जंगल में मुनि से णमोकार मंत्र पाकर उसी का जाप करती रही, वहीं पुत्र पैदा हुआ, पवन ने युद्ध से वापस आने पर अंजना को ढूढ़ा और उसे पाकर सुख पूर्वक रहने लगे। १. डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल --महाकवि ब्रह्मरायमल्ल एवं भट्टारक त्रिभुवन कीर्ति, पृ० २१ २. वही, प्रशस्ति संग्रह, पृ० २३२ ३. वही, पृ० २७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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