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________________ ब्रह्म रायमल्ल ब्रह्मरायमल्ल - आप दिगम्बर सम्प्रदाय, मूलसंघ एवं सरस्वती गच्छ के भट्टारक रत्नकीर्ति के प्रशिष्य एवं अनंतकीर्ति के शिष्य थे । इनका केन्द्र राजस्थान का ढूंढाड़ प्रदेश था । इनका जन्म सं० १५८० के आसपास हुआ। आप प्राचीन हस्तप्रतों को पढ़ने और लिपिबद्ध करने का कार्य करते थे । आपने सं० १६१३ में प्राचीन ग्रंथों की हस्तलिपि करने का कार्य दिल्ली में प्रारंभ किया । दिल्ली से चलकर बाद में झूझनू गये और वहाँ स्वतन्त्र साहित्य लेखन कार्य प्रारम्भ किया | वहीं सं० १६१५ में 'नेमीश्वर रास' लिखा । आपने सं० १६१५ से सं० १६३६ के बीच हिन्दी में पन्द्रह काव्य ग्रन्थों की रचना की । ये सभी रचनायें प्रायः राससंज्ञक हैं यथा नेमीश्वर रास, हनुमंत रास इत्यादि । गुजरात में इसी के आसपास एक अन्य रायमल्ल हो गये हैं जो संस्कृत के विद्वान थे और जिन्होंने संस्कृत भाषा में 'भक्तामर स्तोत्र वृत्ति' की रचना की है । वे हुंबडवंशीय मह्य और चम्पा के पुत्र थे । प्रस्तुत रायमल्ल की जीवनी के सम्बन्ध में विशेष विवरण नहीं ज्ञात है | अतः उनके कृतित्व का परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है । डा० प्रेमसागर जैन और डा० हरीश शुक्ल इन्हीं के पिता का नाम हुंबडवंशीय मा या महीय और माता का नाम चंपा दे बताते हैं किन्तु डा० कासलीवाल और नाहटा इसे नहीं मानते और उनके पुत्र रायमल्ल को इनसे भिन्न बताते हैं । 1 ४०७ रचनायें -- नेमीश्वर रास सं० १६१५, हनुमन्तकथा सं० १६१६, ज्येष्ठ जिनवर कथा सं० १६२५, प्रद्युम्नरास सं० १६२८, सुदर्शन रास सं० १६२९, श्रीपालरास सं० १६३०, भविष्यदत्त चौपइ सं० १६३३, परमहंस चौपइ सं० १६२६, जम्बूस्वामी चौपड़, निर्दोषसप्तमीकथा, चिन्तामणि जयमाल, पंचगुरु की जयमाल, जिनलाडू गीत, नेमिनिर्वाण चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्न । इनकी प्रमुख रचनाओं का विवरण- उद्धरण आगे प्रस्तुत किया जा रहा है। नेमीश्वर रास - इसमें २२वें तीर्थंकर नेमिनाथ का जीवनचरित्र वर्णित है । ये श्री कृष्ण के चचेरे भाई थे । जामवंती नेमि से नाराज १. डॉ. कस्तू चन्द कासलीवाल - महाकवि ब्रह्मरायमल्ल एवं भट्टारक त्रिभुवनकीर्ति पृ० ५-१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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