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________________ मालदेव ३५३ लिखे हैं जिनसे इनके कृतित्व पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है । इनकी रचनाओं की सूची निम्न है रचनायें - पुरंदर चौपइ पद्य ३७२, सुरसुन्दर चौपइ पद्य ६६९, वीरांगद चौपइ पद्य ७५९ सं० १६१२, भोजप्रबन्ध पद्य २०००, पंचपुरी, विक्रम पंचदंड चौपइ गाथा १७२५, देवदत्त चौपइ पद्य ५३०, धनदेव पद्मरथ चौपइ पद्य १८४, सत्य की चौपइ पद्य ४४६, अन्जना सुन्दरी चौप पद्य १५९, मृगांक पद्मावती रास पद्य ४७८, पद्मावती पद्म श्री रास पद्य ८१५, अमरसेनवयरसेन चौपइ पद्य ४०८, कीर्तिधर सुकोशल सम्बन्ध पद्य ४३१, नेमिनाथ नवभवरास पद्य २३०, नेमिराजुल धमाल पद्य ६५, स्थूलिभद्र धमाल पद्य १०७, वृहद्गच्छीय गुर्वावली पद्य ३७, महावीरपारणा, महावीरपञ्चकल्याणक स्तव गाथा २८, मालशिक्षा चौपड़ पद्य ६७ । इसके अलावा अनेक गीत, स्तवन; सन्झाय आदि भी प्राप्त हैं । श्री अगरचन्द नाहटा ने इनकी कृति महावीर पारणा और महावीर लोरी को प्रकाशित किया है । पुरंदर चौपड़ का सम्पादन श्री भँवरलाल नाहटा ने किया है । " इन्हें कोई गुजराती का तो कोई हिन्दी का कवि कहता है, वस्तुतः ये भी महगुर्जर के कवि हैं । प्रसिद्ध गुजराती कवि ऋषभदास ने 'कुमारपालरास' में प्राचीन गुर्जर कवियों के साथ मालदेव का भी ससम्मान उल्लेख किया है । मुनिविजय इनकी रचना पुरंदर चौपइ को हिन्दी की रचना मानते हैं, उनकी भाषा का जायजा लेने के लिए भोजप्रबन्ध से एक दोहा उद्धृत कर रहा हूँ गोकुल काई ग्वारिनी ऊची बइठी खाटि, सात पुत्र सातउ बहू दही बिलोवति माटि । इस भाषा को राजस्थानी, गुजराती, हिन्दी में से कुछ भी कहा जा सकता है। भोज प्रबन्ध लगभग २००० पद्यों की तीन अध्यायों में विभक्त विस्तृत रचना है । कथा का आधार प्रबन्ध चिन्तामणि तथा बल्लाल का भोज प्रबन्ध है । रचना प्रौढ़ एवं मौलिक है । युद्ध में पराजित मुन्ज की दशा का यह वर्णन देखियेवन ते वन छिपतउ फिरउ, गह्वर बनह निकुंज, भूखउ भोजन मांगिवा गोवलि आप मुंज । * १. श्री अगर चन्द नाहटा - परंपरा पृ० ७१-७२ २. डा० हरीश शुक्ल — जैन गुर्जर कवियों की हिन्दी सेवा पृ० ८८ २३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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