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________________ पृथ्वीराज राठौड़ . . २९३ अन्य रचनायें प्रत्यक्षतः उपदेश प्रधान हैं और पूजा पाठ के विधिविधान पर आधारित है। पं० पृथ्वीपाल–आपकी रचना का नाम 'श्रुत पंचमी' है । इसका रचनाकाल सं० १६९२ निश्चित है । आप अग्रवाल थे और पानीपत के निवासी थे। इसकी प्रति पंचायती मन्दिर, दिल्ली में उपलब्ध है।' अन्य विवरण-उद्धरण उपलब्ध नहीं हो सका। पृथ्वीराज राठौड़-आप बीकानेर के महाराज थे। आपके पिता का नाम राजा कल्याण सिंह था। आपके भाई का नाम राजा राय सिंह था। आपका अकबर के दरबार में अच्छा स्थान था। इनके भाई राय सिंह या रायमल्ल तथा इनके मन्त्री कर्मचन्द भी अकबर के दरबारी थे । राजस्थानी की सुप्रसिद्ध और सर्वोत्तम काव्य कृति'कृष्ण रुक्मिणी री बेलि,२ आपकी उत्कृष्ट रचना है। इस वेलि की रचना आपने सं० १६३८ में की थी। इस मनोहर बेलि में कृष्ण रुक्मिणी की मनोहर कथा वर्णित है। यह बड़ी सरस तथा लोकप्रिय रचना है । इसके प्रारम्भ और अन्त की पंक्तियाँ प्रस्तुत हैंआदि-परमेसर प्रणमि प्रणमि सरसति पणि, सद्गुरु प्रणमि त्रिणेततसार । मंगलरूप गाइइ माहव (माधव) चारसह (चारसु) अही मंगलचार । अन्त--वरस अचल गुण अंग ससि, संवति तवीउ जस कवि श्री भरतार करि श्रवणे दिनराति कंठ करि, पामइ श्री फल भगत अपार । श्री अगरचन्द नाहटा ने इसकी भाषा को इंगरी कहा है। इंगरी की इस उत्कृष्ट रचना को समझने में सर्वसाधारण को कठिनाई होती है १. श्री कामता प्रसाद जैन-हिन्दी जैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास पृ० १३५ २. श्री अगर चन्द नाहटा-परम्परा पृ. ७१ और राजस्थान का जैन . साहित्य पृ० २३१ ३. जैन पुर्जर कविओ, भाग ३ खण्ड २ पृ० २१३५ (प्रथम संस्करण) . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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