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________________ नन्द कवि ___२५५ २५५ कवि ने इसमें अपना वंश परिचय दिया है, यथाअगरवाल वर वंश गौसुना गाँव को, गोइल गोत प्रसिद्ध चिन्हता ठाँव को, माता हि चंदन नाम पिता भयरौ भन्यो। नंद कही मन मोद गुनी गुनना गन्यो।' सुदर्शन चरित्र—इस पर अपभ्रंश की रचना सुदंसण चरिउ का व्यापक प्रभाव लक्षित होता है। इसमें सेठ सुदर्शन का निर्मल चरित्र चित्रित है। इसकी रचना सं० १६६३ माघ शुदी० पञ्चमी गुरुवार को हुई । इसका उल्लेख कवि ने इस प्रकार किया है संवत सोरह से उपरंत, सठि जानहु वरिख महंत, माघ उज्यारे पाख गुरुवासर दिन पञ्चमी, वंधि चौपई भाष नन्द, करी मति सारशी । कथा सुदर्शन शेठि की पढ़े, सुनै जो कोइ, पहिलै पावै देवपद पाछे शिवपुरी होइ। इसका प्रारम्भ सोरठा प्रथम सुमिरि जिनपाइ सहित सुरासुर नाग षग, भव भव पातिक जाइ, सिद्धि सुमति साहस बढ़े। दोहरा-इन्द चन्द अरु चम्बावे हरि हलधर फणिनाह, __ तेऊ वरन नहीं सके जिनगुन अगम अथाह । चौ०-सुमिरि शारदा जिनवर वानि, करौ प्रनाम जोरिकर पानि, मूरिष सुमिरे पण्डित होइ, पापपंक मल डारे धोइ। आगरा वर्णन-अगम आगरो पवरुपुर ऊचकोट प्रासाद, तरे तरंगिनि नदि बहे नीर अमी सम स्वादु।४ इससे यह प्रमाणित होता है कि आगरे के निवासी धनधान्य संपन्न थे और निसंक भाव से अपने-अपने धर्म का पालन करते थे, यथा१. संपादक डॉ० वासुदेव शरण अग्रवाल-हस्तलिखित ग्रन्थों का बीसवाँ त्रैवार्षिक विवरण-नागरी प्रचारिणी सभा काशी पृ० ४३०-४३१ २. वही ३. वही ४. वही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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