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________________ २५४ 'मरु-गुर्जर जैन साहित्य का वृहद् इतिहास गद्य और पद्य दोनों ही विधाओं में साहित्य सर्जन करते थे। आपका संस्कृत, प्राकृत के 'साथ पुरानी हिन्दी (मरुगुर्जर) पर भी अच्छा अधिकार था। आपने अधिकतर स्तवन विनती आदि पद्य में लिखे हैं जिनसे आपके हृदय की भक्ति-भावना का पता चलता है। नन्द कवि'- आप आगरे के पास गौसुना के निवासी थे। इनके पूर्वज यहाँ बयाना से आये थे । कवि की कृतियों-यशोधर चरित और सुदर्शन चरित से पता चलता है कि कवि के पिता का नाम भैरो था। इनके पिता गोयल गोत्रीय अग्रवाल थे। इनकी माता का नाम चन्दनबाई था। कवि नन्द ने आगरा नगर की प्रशंसा की है जहां उस समय जहाँगीर शासन करता था। इनके गुरु भट्टारक त्रिभुवन कीति थे। इनकी तीन रचनायें उपलब्ध हैं-यशोधर चरित्र, सुदर्शन चरित्र और गूढ़ विनोद । यशोधर चरित्र सं० १६७० श्रावण शुक्ल सप्तमी को लिखा गया। यशोधर के प्रसिद्ध आख्यान पर पुष्पदंत से लेकर नन्द तक कई चरित्र काव्य लिखे गये हैं। प्रारम्भ में कवि सरस्वती की वन्दना करता है, यथा द्वे कर जोडि नऊं सरसती, बढ़े बुद्धि उपजै शुभमती, जिन बानी मानी जिन आनी, तिनको वचनचढ्यौ परवान । आगरा और नागरिकों के धर्म-कर्म का वर्णन इन पक्तियों में द्रष्टव्य है होहि प्रतिष्ठा जिणवर तणी, दीसहि धर्मवंत बहुधनी, एक करावहि जिणवर धाम, लागे जहाँ असंखिनदाम । एक लिखावे परमपुरान, एक करहि संतीक प्रधान, राज चैन कोउ सकत्ति न लुपै, कविता कवित्ततपी तप तपै ।। यशोधर या जसोधर चरित्र का रचनाकाल इस प्रकार कहा गया है संवत सोलशें अधिक सत्तरि शावन मास, सुकुल सोमदिन सत्तमी, कही कथा मृदु भास । १. कामता प्रसाद जैन-हिन्दी जैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास पृ० १२६ २. डा० प्रेमसागर जैन--जैन भक्ति काव्य पृ० १५८-१६० ३. खोज रिपोर्ट नागरी-प्रचारिणी सभा काशी-पृ० ४३१ (२० वा वैवा षिक विवरण) संपादक-डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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