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________________ २१४ मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास तीर्थमाला स्तवन अथवा पूर्वदेश चैत्यपरिपाटी स्तवन सं० १६४८ की रचना कही गई है। यह इनकी संभवतः प्रथम रचना है। श्री देसाई ने जैन गुर्जर कविओ भाग १ पृ० २९६-३०० पर इसका रचनाकाल सं० १६७८ बताया था। द्वितीय संस्करण में उसे सुधारकर सं० १६४८ बताया गया है, जो कवि द्वारा बताये रचनाकाल की दृष्टि से संगत बैठता है, यथा वसु सागर रस ससी मित वरखे कीधी जात्रा अह, दयाकुशल कहे आणंद आणी, नितनित समरुं तेह । इसमें कवि ने मेहमुनि का नाम दिया है, उदाहरणार्थ देखिये मेह मुनिसर सीस सिरोमणि, विबुध सभा सणगार, कल्याण कुशल गुरु तपागछ मंडण निरमल ज्ञान भण्डार । इसके प्रारम्भिक पन्ने फटे होने से रचना का आदि नहीं दिया जा सका है। सं० १६८९ में लिखित इस प्रति पर कवि के हस्ताक्षर हैं। इसकी ४३ वीं कड़ी में भी सं० १६४८ का उल्लेख यात्रा के प्रसंग में किया गया है, यथा मूकी मूरत डीगाम्बर तड़ी, संवत १६ अडताले घणी। ___ इन कृतियों की अनेक प्रतियाँ विभिन्न ज्ञान भण्डारों में उपलब्ध होने से इनकी लोकप्रियता का पता चलता है। दयारत्न --श्री अगरचन्द नाहटा इन्हें हर्षकुशल का और श्री मो० द० देसाई इन्हें जिनहर्ष का शिष्य बताते हैं पर दोनों इनकी उन्हीं कृतियों का विवरण देते हैं अतः यह निश्चय है कि दोनों एक ही दयारत्न का परिचय दे रहे हैं । इनकी दो प्रमुख रचनायें उपलब्ध हैं पहली हरिबल चौपाई पद्य ५८१ जिसकी प्रति नाहर जी संग्रह (कलकत्ता) में है। यह रचना सं० १६९१ जोधपुर में हुई। दूसरी कृति 'कापड़हेड़ा रास' सं० १६९५ में लिखी गई जो ऐतिहासिक रास संग्रह भाग ३ में प्रकाशित है।' जोधपुर रियासत में विलाडा से जोधपुर मार्ग पर विलाडा से १६ मील दूर कापडहेड़ा एक छोटा सा गाँव है। यहाँ पर पार्श्वनाथ का एक भव्य जिनालय है । उसकी मूर्ति के प्रकट होने और उसकी स्थापना के सम्बन्ध में यह रास लिखा गया है। खरतरगच्छ की आचार्य शाखा के जिनचंद्रसूरि को सं० १६७० में जोधपुर में देवी वचन से यह ज्ञात हुआ कि कापड़हेडा में भूमि के नीचे पार्श्वनाथ की १. श्री अगरचन्द नाहटा-परम्परा पृ० ८८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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