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________________ मरु-गुर्जर जैन साहित्य का वृहद् इतिहास सीताशील पताका गुणवेलि का रचनाकाल सं० १६७४ ज्येष्ठ शुक्ल १३ बुधवार बताया गया है। यह रचना कोटनगर के आदिनाथ चैत्यालय में की गई।' यह बेलि ब्रह्म हरखा के आग्रह पर लिखी गई थी। इसी ग्रन्थ सूची में जो रचना काल दिया गया है उससे रचनाकाल सं० १६०४ मालूम पड़ता है, यथारचनाकाल-संवत सोल चडउत्तरि सीता तणी गुण वेल्ल, ज्येष्ठ सुदि तेरस बुधि रची मणी करें गैल्ल । इससे स्पष्ट रचनाकाल १६०४ लगता है। इसी ग्रन्थ सूची की प्रस्तावना के पृ० ३३ पर रचनाकाल सं० १६७४ दिया गया है। कोट नगर के आदिनाथ चैत्यालय में यह रची गई। प्रशस्ति इस प्रकार है सं० १६७४ आषाढ़ सुदी ७ गुरो श्री कोटनगरे स्वज्ञान वरणी कर्म क्षयार्थ आ० श्री जयकीर्तिना स्व हस्ताभ्यां लिखितेयं । यदि सं० १६७४ आषाढ़ को लिखी गई तो सम्पादक महोदय को ज्येष्ठ सुदी १३ बुधवार कहाँ से मिला। लगता है कि रचनाकाल सं० १६०४ ज्येष्ठ सुदी तेरस बुधवार है और स्वयम् लेखक द्वारा उसकी प्रतिलिपि सं० १६७४ आषाढ़ सुदी ७ को की गई। पर ऐसा मान लेने पर अन्य रचनाओं से इसका अन्तर बहुत बढ़ जाता है फिर उन रचनाओं की रचना तिथि को प्रतिलिपि लेखन तिथि मानना ही संगत होगा। इस सम्बन्ध में पर्याप्त अनुसन्धान की आवश्यकता है। __ आपने बीकानेर के राजा सूरज सिंह के राज्य में सं० १६८६ में राजा पृथ्वीराज कृत कृष्णबेलि पर बालावबोध लिखा था और सं० १६९३ चैत्र वदी १३ को संघवी थाहरुशाह के आग्रह पर षडावश्यक बालावबोध लिखा। इस प्रकार आप कुशल कवि एवं गद्यकार थे। आपकी अधिकतर रचनाओं का प्रकाशन न होने और प्रतियों की अनुपलब्धता के कारण नमूना नहीं प्राप्त हो सका। जयकुल (या जयकुशल)-आप तपागच्छीय लक्ष्मी कुशल के शिष्य थे। वैसे कवि अपना नाम जयकुल और गुरु का नाम लक्ष्मी १. डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल-राजस्थान के जैनशास्त्र भंडारों की ग्रन्थ सूची, भाग ५ पृ० ३३ २. डा० कस्तूर चन्द कासलीवाल-राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की ग्रन्थ सूची भाग ५ पृ० ६४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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