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________________ १३४ मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास रचनाकाल इस प्रकार कहा गया है संवत गुण रस रस शसि बरसइ, चैत्र सुदइ नवमी नइ दिवसइ । इसका प्रारम्भ-"पुरुषादेय उदयकरु पणमिय थंभणपास, जेहनइ नाम ग्रहण थकी, पूजइसघली आस।" जीवस्वरूप चौपइ-२४७ कड़ी सं० १६६४ । रचनाकाल---अंबुधि काय रसावनि वरषइ, श्री संघ केरइ हरषइजी के 'अंबुधि' शब्द को लेकर कोई सं० १६६४ और कोई सं० १६६७ को रचनाकाल बताता है। नलदमयन्ती प्रबन्ध (सं० १६६५) में प्रसिद्ध राजा नल और उनकी सुन्दरी पत्नी दमयन्ती की कथा जैनमतानुकूल प्रस्तुत की गई है। यह प्रकाशित रचना है । संपादक हैं रमणलाल चिमनभाई शाह । जम्बूरास-इसमें पंचम गणधर सुधर्मा स्वामी के प्रसिद्ध शिष्य जंबुकुमार का पावन चरित्र वर्णित है, इसका आदि पणमिय पास जिणिंद प्रभु श्री जिनकुशल मुणिंद, प्रभुतानिधि सोहगनिलउ, समरी सुखनउ कंद । __मूलदेवकुमार चौपाई-(१७० कड़ी सं० १६७३) दान का माहात्म्य वर्णित है यथा उवझाय श्री जयसोम गुरु पयपंकज परभावि, दानतणा गुण वर्णवं करि सारदअनुभावि । रचनाकाल-गुणमुनि रस ससि वरसइ चारु, मूलदेव संबंध विचारु श्री सांगानयरइ मनहरषइ, जेठ प्रथम तेरसिनइ दिवसइ ।' कलावती चौपाई- (२४२ कड़ी सं० १६७३ श्रावण शुक्ल ९ शनिवार) कवि कहता है कि कामविकार से ब्रह्मा, विष्ण आदि भी मुक्त नहीं हैं पर कलावती ने कामविकार पर विजय प्राप्त किया था, कवि लिखता है "तेहनइ पालिवउ अति विकट सील तणउ संसारि, तिण तेहनउ वर्णन करुं जिहाँ नहीं काम विकार।" रचनाकाल-संवत सोल तिहत्तरा वरसइ श्रावण सुदि नवमीनइ दिवसइ नवमइ रवियोगई शनिवारइ, पूर्व प्रबंध तणइ अनुसारइ । १. जैन गुर्जर कविओ भाग १, पृ० २२०-२२३ (द्वितीय संस्करण) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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